तकदीर का खेल हिंदी कहानी | taqdeerwala Hindi kahani | moral stories | bedtime stories | kahani

बहुत समय पहले एक छोटे से गांव में ममता नाम की बहुत ही गरीब औरत अपने बेटे लोकेश के साथ एक छोटे से घर में रहती थी। ममता दूसरों के घरों में खाना बनाने का काम किया करती थी, जिससे घर का गुजारा होता था। एक दिन ममता लोकेश से कहती है लोकेश बेटा जा भानु भैया की दुकान से घर का राशन ले आ। अगर वह पैसे मांगे तो कह देना की पैसे अगले महीने दे देंगे। ठीक है मां मैं अभी राशन ले आता हूं। लोकेश भानु की दुकान पर राशन लेने पहुंच जाता है। लोकेश भानु से कहता है। भानु भैया मां ने राशन मंगाया है उन्होंने कहा है की पैसे अगले महीने दे देंगे। तुमने मुझे क्या समझ रखा है जो मुंह उठाए उधार लेने चले आते हो यहां। अरे! उधार की वजह से मेरी दुकान बंद होने की कगार पर है। अभी तुमने पहले के पैसे दिए नहीं है और उधार लेने चले आए। देखो भाई, मैं उधार का कोई सामान नहीं दे सकता। भानु दुकानदार की यह बात सुनकर लोकेश अपने घर की ओर चल पड़ता है और वह सोचने लगता है। मैं कितना अभागा हूँ जो दो वक्त के खाने के लिए पैसे नहीं जुटा सकता। मां किस तरह दूसरों के घरों में काम करती है। अब मुझसे उनका दुख देखा नहीं जाता। बेचारी कब तक दूसरों का काम करती रहेंगी। मुझे कोई काम जरूर करना होगा। शायद अब वक्त आ गया है कि मुझे अपनी जिम्मेदारी संभालनी होगी ताकि मैं अपनी माँ को इस स्थिति से निकाल सकूँ और उनकी जिंदगी में थोड़ी खुशियाँ ला सकूँ। लोकेश ये सोच ही रहा था। तभी उसकी नजर एक ऋषिवर पर पड़ी। ऋषिवर ने लोकेश को अपने पास बुलाया और बोले। क्यों उदास हो प्यारे बेटे! तुम्हें देख कर ऐसा लगता है जैसे तुम किसी बड़ी समस्या से जूझ रहे हो। ऋषिवर! मैं एक गरीब लड़का हूँ। मेरे पास कुछ नहीं है। सिर्फ एक सपना है की एक दिन मैं अपनी माँ की मदद कर सकूँ। वह दूसरों के घरों में जाकर काम करती है, फिर भी उन्हें इतने पैसे नहीं मिलते जिससे पूरे महीने का गुजारा हो जाए। मुझे तो समझ में नहीं आ रहा की मैं क्या करूं। मेरी जिंदगी में आगे क्या होगा। तुम्हारे मन में जो सपना है वह एक दिन जरूर पूरा होगा। बेटा तुम बड़े तकदीर वाले हो। तुम्हारा भाग्य बहुत उज्जवल है। बहुत ही जल्दी ऐसा वक्त आएगा जब हर किसी की जुबान पर सिर्फ तुम्हारा नाम होगा। लेकिन मैं तो केवल एक साधारण सा लड़का हूं। मेरे पास तो साधन भी नहीं है और ना ही मैं कोई राजा हूं। फिर हर किसी की जुबान पर मेरा नाम क्यों होगा? स्वामी मैं समझ नहीं पा रहा हूं की आप क्या कहना चाहते हैं। इस संसार में हर एक व्यक्ति की कहानी अनोखी होती है और तुम्हारी कहानी अभी शुरू हुई है। इतना कहकर ऋषिवर वहां से चले जाते हैं। लोकेश को उनकी कोई भी बात समझ नहीं आती है और फिर लोकेश भी अपने घर चला जाता है। बेटा, तू खाली हाथ क्यों चला आया? मैंने तो तुझे घर का राशन लेने भेजा था। मां भानु भैया ने उधार राशन देने के लिए मना कर दिया है। वो कह रहे थे की मैं तुम्हें और उधारी नहीं दे सकता। तुम्हारे ऊपर पहले के ही बहुत पैसे हैं। कोई बात नहीं बेटा। मैं आज मालकिन से पैसे लेकर आऊँगी। तू भानु का हिसाब कर आना। जा तू खाना खा ले। माँ मैं खाना बाद में खाऊँगा। आप पहले मुझे एक बात बताओ। जब मैं रास्ते से आ रहा था तो मुझे एक ऋषिवर मिले थे। वो कह रहे थे की मैं बहुत तकदीर वाला हूँ। कुछ ही दिनों में हर किसी की जुबान पर मेरा ही नाम होगा। मैं तो उनकी बात समझ ही नहीं पाया। अगर तुम्हें कुछ समझ में आया तो तुम मुझे बताओ माँ। क्या सच में उन्होंने ऐसा कहा? हाँ माँ। उन्होंने ऐसा ही कहा। बेटा जब तेरा जन्म हुआ था तब भी एक ऋषि ने मुझसे कहा था की यह तेरा बेटा बहुत भाग्यशाली है, बड़ा होकर यह राजकुमार बनेगा। लेकिन मैंने उनकी बात पर कुछ ध्यान नहीं दिया था। माँ यह सब फिजूल की बात है, भला एक गरीब माँ का बेटा राजकुमार कैसे बन सकता है? राजकुमार तो राजा का बेटा बनता है। तुम सही कहते हो लोकेश, लेकिन कभी कभी यह भविष्यवाणी सच भी हो जाती है। मैंने खुद अपनी आंखों से भविष्यवाणियों को सच होते हुए देखा है। हमारे गांव में सुनीता नाम की एक औरत ने एक बेटी और बेटे को जन्म दिया था। उन बच्चों की खुशी में उस औरत के पति महेंद्र ने आसपास के सभी गांव में दावत की थी। वह औरत भविष्यवाणी में बहुत विश्वास करती थी, इसलिए उसने अपने बच्चों का भविष्य पूछने के लिए एक ऋषि को बुलाया। उस ऋषि ने उससे कहा। मैं तुम्हें इन बच्चों का भविष्य नहीं बता सकता और तुम्हारे लिए भी यही बेहतर होगा की तुम कभी भी इन बच्चों का भविष्य जानने की कोशिश मत करना वरना तुम्हारा यह खुशहाल जीवन पल भर में दुख में बदल जाएगा। लेकिन ऋषिवर ऐसा क्या है इन बच्चों के भविष्य में जो आप हमें बताना नहीं चाहते? हमने तो ऐसा कोई पाप नहीं किया है, जिसकी सजा इन बच्चों को मिले। कितनी दुआओं के बाद ईश्वर ने हमें यह दो जुड़वा बच्चे दिए हैं। कृपया करके आप मुझे बताएं इन बच्चों के भविष्य में क्या लिखा है? ठीक है, अगर तुम अपने बच्चों का भविष्य जानना चाहती हो तो सुनो। तुम्हारा यह बेटा बड़ा होकर अपनी जुड़वा बहन से शादी करेगा। ऋषि की यह बात सुनकर सुनीता के होश उड़ गए। ऐसा कैसे हो सकता है ऋषिवर, भला एक भाई अपनी बहन से कैसे शादी कर सकता है? मैं यह भविष्यवाणी नहीं मानती। तुम झूठ बोल रहे हो। मैं आपकी बातों पर विश्वास नहीं कर सकती। अगर बेटा तुम्हें मेरी बातों पर विश्वास नहीं। तो कोई बात नहीं। जब समय आएगा तो तुम सब खुद देख लोगे। इतना कहकर ऋषिवर वहां से चले जाते हैं। फिर सुनीता अपने पति से कहती है, नहीं, यह तो असंभव है। मेरे बच्चे आपस में विवाह नहीं कर सकते। चाहे कुछ भी हो जाए, मैं ऐसा नहीं होने दूंगी। मुझे अपनी बेटी को मरवा देना चाहिए। तभी यह भविष्यवाणी गलत साबित होगी। तुम यह क्या बेहूदा बात कर रही हो? उस आदमी की बातों में आकर तुम इस मासूम की जान लेना चाहती हो। कितने वर्षों बाद ईश्वर ने हमें औलाद का सुख दिया और तुम कह रही हो की हम इस मासूम बच्ची को मरवा दें। मैं ऐसा नहीं करना चाहती लेकिन हमें इन भविष्यवाणियों को हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि यह भविष्यवाणियां मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई है। कई बार ऐसा हुआ है जब मैंने इनकी अनदेखी की है तो मुझे इसका नुकसान उठाना पड़ा। हमें इन भविष्यवाणियों को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह सिर्फ शब्द नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य के संकेत हैं। इसलिए इस भविष्यवाणी को नजर अंदाज करना हमारे लिए सही नहीं होगा। देखो सुनीता, हमें समझदारी से सोच समझकर ही कोई कदम उठाना चाहिए। बताओ, अब हमें क्या करना होगा? तुम इस बच्ची को कहीं दूर ले जाकर मार दो। हमें ना चाहते हुए भी ऐसा करना ही होगा। इसी में हमारी भलाई है। अगर भविष्यवाणी सच हो गई तो अनर्थ हो जाएगा। ठीक है। जो आज तक किसी ने नहीं किया, वह मैं करूंगा। अपने ही हाथों से अपनी बच्ची की जान लूंगा तो इस बच्ची को किसी कपड़े में लपेट दो, जिससे मुझ पर किसी को शक ना हो। वो आदमी उस बच्ची को एक ऊंची पहाड़ी पर ले जाता है और फिर उसे पहाड़ी से नीचे फेंक देता है। लेकिन वो बच्ची किसी तरह बच जाती है। एक अमीर आदमी उस जगह से गुजर रहा होता है तभी उसकी नजर उस बच्ची पर पड़ती है। अरे वाह कितनी प्यारी बच्ची है। लेकिन यह बच्ची इस जंगल में क्या कर रही है? इसे यहां पर कौन छोड़ कर गया होगा। मुझे इसे अपने साथ लेकर जाना चाहिए वरना इसे कोई जंगली जानवर खा जाएगा। वो अमीर आदमी उस बच्ची को अपने घर ले जाता है। अरे कहां हो भाग्यवान! जरा जल्दी इधर आओ। यह देखो मेरे साथ कौन आया है? अरे ये किसका बच्चा उठा लाए हैं आप? मैं क्या तुम्हें कोई बच्चा उठाने वाला दिखाई देता हूं? अरे नहीं, मेरा मतलब वह नहीं जो आप समझ रहे हैं। मेरे कहने का मतलब यह है कि तुम्हें यह बच्चा कहां से मिला? यह नन्ही परी मुझे पहाड़ियों वाले जंगल में मिली है। पता नहीं इसे वहां पर कौन छोड़ कर गया था। मुझे इस बच्ची पर दया आई और मैं उसे उठा कर ले आया। यह तुमने बहुत अच्छा किया। इस बच्ची को अपने साथ ले आए। देखो, यह बच्ची कितनी सुंदर है। देखने में बिल्कुल चांद का टुकड़ा लग रही है। आज से यह बच्ची हमारे परिवार का हिस्सा है। हम इसे भी अपने बेटे सोहन की तरह ही पालेंगे। अब से हमारे एक नहीं बल्कि दो बच्चे हैं। यूं ही कई वर्ष बीत जाते हैं। अब दोनों भाई बहन बड़े हो चुके होते हैं। अपने बेटे को जवान होता देख सुनीता और उसका पति बहुत खुश होते हैं की भविष्यवाणी गलत साबित हुई। लेकिन होना तो वही था जो तकदीर में लिखा था। एक दिन सुनीता का लड़का किसी काम से बाहर कहीं दूर जा रहा होता है। तभी रास्ते में उसकी नजर अमीर आदमी की बेटी पर पड़ती है। उसे देखकर वह सब कुछ भूल जाता है। वह अपने मां बाप को बगैर कुछ बताए। उस लड़की से शादी कर लेता है और उसे लड़की घर ले आता है। मां। मैंने इस लड़की से शादी कर ली है। यह सेठ अमीरचंद की बेटी है। बेटा, तुझे शादी करने की इतनी भी जल्दी क्या थी? एक बार हमसे पूछ तो लेता, आखिर हम तेरे माता पिता हैं। हमने तुझे पाल पोस कर इतना बड़ा किया है। इसलिए हमारा भी हक बनता है कि तेरे सुख दुख में साथ रहे। अरे भाग्यवान! तुम भी यह क्या बात लेकर बैठ गई हो? अरे हमें तो खुश होना चाहिए। हमारे बेटे की खुशी में ही तो हमारी खुशी है। बेटी! तुम बहुत दूर से चल कर आई हो। जाओ, थोड़ा आराम कर लो। बेटी, तुम कितने भाई बहन हो। सासू जी हम दो भाई बहन हैं, लेकिन मैं सेठ अमीरचंद की सगी बेटी नहीं हूं। मैं तो उन्हें पहाड़ी के पास मिली थी, लेकिन उन्होंने मुझे कभी मां पापा की कमी महसूस नहीं होने दी। अपने बेटे की बहू के मुंह से यह बात सुनकर सुनीता सब समझ जाती है कि यह लड़की हमारी बेटी है। वह इस बात को अपने पति महेंद्र को भी बताती है कि भविष्यवाणी सच साबित हुई। यह बात किसी तरह सुनीता के बेटे को भी पता चल जाती है कि जिस लड़की से उसने शादी की है, वह उसकी सगी बहन है। इसलिए वह अपनी जान ले लेता है और फिर वह लड़की भी मर जाती है। 

यह तो बहुत बुरा हुआ। इस बात को सुनकर मुझे पूरा विश्वास हो गया कि भविष्यवाणियां सच होती हैं। हमें इन्हें हल्के में नहीं लेना चाहिए। हां बेटा, मैं तुझे यही समझा रही थी कि इन भविष्यवाणियों को झूठ समझने की कोशिश मत करना। इसका मतलब ऋषिवर सच कह रहे थे कि मेरे मन में जो सपना है, वह एक दिन जरूर पूरा होगा और बहुत जल्दी मेरा भाग्य उज्जवल होगा। उसके बाद हर किसी की जुबान पर सिर्फ मेरा नाम होगा। जिस राज्य में लोकेश रहता था, उस राज्य का राजा सूरजमल बहुत ही शांतिप्रिय और दयालु था। उसके शासन में सभी खुश रहते थे। प्रजा भी राजा को बेहद पसंद करती थी। हर कोई गर्व महसूस करता था की वह ऐसे राज्य में रहते हैं जहाँ एक शांतिप्रिय और समझदार राजा शासन कर रहा है। राजा के राज्य की उचित व्यवस्था के पीछे जिस आदमी का हाथ था वो थे उनके सबसे प्रिय सलाहकार रघुवीर सिंह। रघुवीर सिंह के रहते राजा को कभी कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई। लेकिन अचानक एक दिन रघुवीर सिंह की मृत्यु हो गई। इससे राजा को बहुत दुःख हुआ। अब उनके प्रमुख सलाहकार का पद खाली पड़ा था। वो चाहते थे की पूरे राज्य में सबसे बुद्धिमान और जवान आदमी को ये पद मिले। इसलिए वो अपने मंत्री से कहते हैं। पूरे राज्य में घोषणा करवा दो जो भी व्यक्ति राजा के तीन पहेलियों का सही जवाब देगा उसे राजा एक हज़ार सोने के सिक्के और अपना प्रमुख सलाहकार नियुक्त करेंगे। अगले ही दिन मंत्री ढिंढोरची को घोषणा करवाने के लिए भेज देते हैं। सुनो लोगों महाराज सूरजमल का ताजा फरमान जरा गौर से सुनो। महाराज के सबसे प्रिय सलाहकार रघुवीर सिंह की अचानक मृत्यु हो गई है। इसलिए अब उनका पद खाली है। जो भी व्यक्ति महाराज की तीन पहेलियों का सही जवाब देगा, उसे महाराज एक हज़ार सोने के सिक्के और अपना प्रमुख सलाहकार नियुक्त करेंगे। 

कौन जाने अब हमारे मुल्क का क्या होगा? क्यों बाबा कोई आफत आ गई है? सलाहकार की मृत्यु होने से।बेटा आफत तो कुछ नहीं आई। रघुवीर सिंह बहुत ही अच्छा इंसान था। ईश्वर अच्छे इंसान को जल्द ही अपने पास बुला लेता है। बेचारा हमेशा प्रजा की भलाई चाहता था। मैंने कितने ही सलाहकारों को बदलते देखा है, मगर यकीन मानो। रघुवीर सिंह जैसा कोई नहीं था। वह हमेशा गरीब लोगों के हित में ही सोचता था। पता नहीं अब राजा का नया सलाहकार कौन बनेगा, जो हम जैसे गरीबों के बारे में सोचेगा। अगले ही दिन राजमहल में बहुत से आदमी जाते हैं, लेकिन कोई भी राजा की पहेलियों का जवाब नहीं दे पाता है। यूं ही तीन दिन गुजर जाते हैं। एक दिन लोकेश अपनी मां से कहता है, मां। क्यों न एक बार मैं महाराज के पास जाकर इन पहेलियों का जवाब दूं। बेटा राजा हर बार पहेली बदलकर पूछता है, अभी तक कोई भी तीनों पहेलियों का सही जवाब नहीं दे पाया है। बहुत से अक्लमंद लोगों ने पहेलियों का जवाब देना चाहा, लेकिन हर कोई नाकाम रहा। तुम उन अमीर लोगों के बीच कैसे जा सकते हो? वहां बहुत ही तजुर्बेकार और होशियार लोग आए हुए हैं। मां बिल्कुल भी परेशान न हो, मैं महाराज के पास जरूर जाऊंगा। सोचो अगर मैंने पहेलियों के जवाब दे दिए तो एक हज़ार सोने के सिक्के मिलेंगे। फिर तुम्हें किसी के घर जाकर काम करने की जरूरत नहीं होगी और मैं भी महाराज का सलाहकार बन जाऊंगा। ठीक है बेटा, तू इतना कह ही रहा है तो जा, मेरी दुआएं तेरे साथ हैं। ईश्वर तेरी हिफाजत करे। 

अगले दिन लोकेश राजमहल पहुँच जाता है। महाराज उससे पूछते हैं। तुम यहाँ किस लिए आए हो? महाराज, मैं यहाँ आपकी पहेलियों का जवाब देने आया हूँ। अभी तक कोई भी मेरी पहेलियों का जवाब दे नहीं पाया। तुम समझदार लगते हो, जवान भी हो। शायद तुम मेरी पहेलियों का जवाब दे सकते हो। जैसा की तुम शर्त जानते ही हो। जो भी पहेलियों का सही जवाब देगा वह मेरा सलाहकार बनेगा और उसे इनाम में एक हज़ार सोने के सिक्के दिए जाएंगे। ठीक है महाराज, मैं आपकी पहेलियों का जवाब देने के लिए तैयार हूँ। 

तो बताओ तुम्हारे अनुसार सबसे बड़ा धन क्या है? महाराज सबसे बड़ा धन संतोष है। जब मन शांत होता है तो इंसान सबसे अमीर होता है। बहुत खूब। अब दूसरे सवाल का जवाब दो। जीवन में सबसे बड़ा ज्ञान क्या है? महाराज जीवन में सबसे बड़ा ज्ञान यह है कि खुद को जानना और समझना। जब हम अपने आप को पहचानते हैं, तब हम दूसरों को भी समझ पाते हैं। सही उत्तर। अब तीसरा और आखिरी सवाल। सच्ची मित्रता का अर्थ क्या है? महाराज सच्ची मित्रता वो है जब एक मित्र दूसरे की खुशियों में खुश और दुखों में दुखी होता है, बिना किसी स्वार्थ के। बहुत अच्छे। तुमने तीनों सवालों के सही जवाब दिए हैं। तुम वाकई में बुद्धिमान हो। आज से तुम मेरे सलाहकार हो। 

मंत्री इसे एक हज़ार सोने के सिक्के दे दिए जाएँ। कल से तुम अपना पद संभालोगे। लोकेश एक हज़ार सोने के सिक्के लेकर अपने घर चला जाता है। लोकेश को देखकर ममता बहुत खुश होती है। वह लोकेश से कहती है, बेटा जब से तू गया है तब से ही मैं तेरे लिए दुआ कर रही थी कि तू कामयाब हो और ईश्वर ने मेरी दुआ सुन ली। अब हमारी सारी मुसीबतें दूर हो जाएंगी। हां मां, अब तुम्हें किसी भी चीज की चिंता करने की जरूरत नहीं है। आज से तुम्हें दूसरों के घरों पर जाकर काम करने की भी कोई जरूरत नहीं है। बेटा, मेरी पूरी जिंदगी दुख और तकलीफों में कट गई। आज सालों बाद तूने मुझे यह खुशी दिखाई है। अगर आज तेरे पिता जी जिंदा होते तो बहुत खुश होते। पूरे राज्य में यह बात फैल जाती है कि ममता का बेटा राजा का सलाहकार बन गया है। सब बहुत खुश होते हैं क्योंकि लोकेश बहुत ही समझदार और नेक लड़का था। एक दिन लोकेश महल से अपने घर जा रहा होता है। तभी रास्ते में दो भाई एक घोड़ी के बच्चे के ऊपर झगड़ते हुए दिखाई देते हैं। लोकेश उनके पास जाकर बोला। तुम दोनों झगड़ा क्यों रहे हो। जिस आदमी को तुम मेरे सामने खड़ा देख रहे हो, यह मेरा बड़ा भाई है। यह एक नंबर का झगड़ालू इंसान है। ईश्वर इसे गारत करे। हमारे पिताजी जो भी छोड़कर मरे थे, हमने उसे आपस में बांट लिया। मेरे हिस्से में घोड़ी आई थी। उस घोड़ी ने एक बच्चा दिया। यह बेईमान इंसान उस घोड़ी के बच्चे को अपना बता रहा है। जरा आप इसे समझाइए। जब बच्चा मेरी घोड़ी ने दिया तो वह घोड़ी का बच्चा मेरा हुआ या इस बदबख्त का? यह नामुराद झूठ बोल रहा है। सालों से यह अपनी घोड़ी को मेरी जगह में बांधता हुआ आ रहा है और इसकी घोड़ी ने बच्चा मेरी जमीन पर दिया है। इसलिए वह घोड़ी का बच्चा मेरा हुआ। जो चीज जिसकी जमीन पर पैदा होती है, वह उसी की हो जाती है। लोकेश समझ गया, यह दोनों पागल हैं, इसलिए वह उनसे बोला। तुम्हारी समस्या तो बहुत गंभीर है। तुम्हें राजा के पास जाना चाहिए। वही तुम्हारा फैसला कर सकते हैं। तुम सही कह रहे हो। हमें राजा के पास जाना चाहिए, वरना यह झगड़ालू इंसान कुछ उल्टा सीधा ना कर बैठे। अगले दिन दोनों भाई राजा के पास पहुंच जाते हैं। और राजा को अपनी सारी बात बताते हैं। राजा लोकेश से कहते हैं। इस समस्या का हल तुम करो। वो दोनों भाई लोकेश को पहचान लेते हैं, लेकिन राजा के सामने उनकी बोलने की हिम्मत नहीं होती इसलिए वो चुपचाप खड़े रहते हैं। देखो जगह से घोड़ी और बच्चे का कुछ भी लेना देना नहीं है। जिसकी घोड़ी है बच्चा भी उसी का है। लेकिन तुम्हें अपने बड़े भाई की जगह में घोड़ी बांधने का हर्जाना देना होगा। तुम्हें उसे एक सोने का सिक्का देना होगा। दोनों भाई लोकेश का फैसला सुनकर खुशी खुशी अपने घर चले जाते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top