यह कहानी केवल मनोरंजन के लिए है। हम किसी भी तरह के अंधश्रद्धा को बढ़ावा नहीं देते हैं। मुंबई की सड़कों पर दरबदर भटकते हुए चल रहे शोएब को कोई भी उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। वो यूं ही भटकते हुए समुद्र किनारे आकर बैठ गया। देर तक वो अकेला बैठा था। तभी एक मौलवी उसके पास आया। क्या बात है, बहुत परेशान लग रहे हो। मेरी समस्या का हल आपके पास नहीं है कहते हुए वह अपनी जगह से खड़ा हो गया। मगर मौलवी ने उसका हाथ पकड़ा और कहा। इस दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान अल्लाह ताला के पास न हो। उसकी बनाई हुई इस कायनात में कुछ ऐसा भी है जो किस्मत से ज्यादा देने का जज्बा रखता है। बाबा, आपकी बातें मेरी समझ में नहीं आ रही हैं। शायद तुम्हें पता नहीं कि कुछ ऐसी शक्तियां होती हैं जो इंसान को भी खुदा बना देती हैं। उसकी हर ख्वाहिश पूरी होती है। क्या यह मुमकिन है? मुझे भी कुछ ऐसा मिल सकता है क्या, जिससे मैं अपनी हर ख्वाहिश पूरी कर सकूं? मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। हर चीज की एक कीमत होती है।
तामसिक शक्तियां बर्बादी का रास्ता है। वो इंसान की आत्मा का सौदा करती है। इसलिए अच्छा है इन शक्तियों से दूर रहा जाए। कहते हुए मौलवी वहां से जाने लगे तो शोएब ने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा कि उसे हर हाल में उन शक्तियों को हासिल करना है। तब मौलवी ने उसे खबीस के बारे में बताया। खबीस जिसे कुछ लोग जिन्न के बच्चे के नाम से भी जानते हैं वो इंसान की हर ख्वाहिश को पूरी करता है। आपकी बात सुनकर तो मैंने निश्चय कर लिया है। मुझे हर हाल में खबीस की सिद्धि चाहिए। मौलवी ने उसे खबीस की सिद्धि हासिल करने के तरीके के बारे में बता दिया और खुद वहां से चले गए। कुछ दूर जाने के बाद वो आसमान में चांद की ओर देखने लगे और उनके चेहरे पर रहस्यमयी मुस्कुराहट आ गई। जैसी अल्लाह ताला की मर्जी। लगता है कुछ अनोखा होने वाला है। दूसरी तरफ शोएब मौलवी जी के बताए अनुसार शहर के बाहर जंगल में इमली के पेड़ के नीचे खबीस को सिद्ध करने की कोशिश कर रहा था। कुछ समय के बाद वो अपनी कोशिश में कामयाब हो गया और एक परछाई उसके सामने आई। जैसे ही वो परछाई दिखने लगी वातावरण में भयंकर दुर्गंध फैल गई थी। मगर शोएब उस दुर्गंध को नजरअंदाज कर। खबीस को अपने साथ घर ले आया। उसके आसपास जब भी खबीस होता, तेज दुर्गंध आती। मगर शोएब को तो सिर्फ अपनी इच्छापूर्ति से मतलब था। कुछ ही दिनों में शोएब की इच्छा अनुसार उसे फिल्मों में काम मिलने लगा था। अपनी फिल्म की शूटिंग पूरी कर वह बहुत खुश था। मगर इस बात को भूल गया था कि यदि कोई इच्छा पूरी होगी तो उसकी कीमत भी चुकानी होगी। शोएब की जिंदगी में वो रात अंधेरा लेकर आई। दिन भर की थकान के कारण शोएब को बिस्तर पर सोते ही नींद लग गई। मगर देर रात उसके बिस्तर पर हलचल होने लगी। किसी ने उसके सीने पर हाथ रखा और बालों को सहलाने लगा। शोएब तुरंत जाग गया। वो अपने बिस्तर पर आस पास देखने लगा। मगर उसे कोई नजर नहीं आया। कौन है यहां जो परेशान कर रहा है। सामने आओ। शोएब ने देखा की खिड़की के पास एक साया लहरा रहा था। वो जैसे ही खिड़की के पास गया उसे साए ने तेजी से उसके ऊपर झपट्टा मारा और उसे पलंग पर लाकर पटक दिया। उसके बाद वही सब हुआ जो नहीं होना था। खबीस शोएब के शरीर पर हावी हो चुका था। वो नकारात्मक शक्ति शोएब के साथ अनैतिक संबंध बना चुकी थी। अपनी शारीरिक ख्वाहिश को पूरा करने के बाद खबीस कुछ पल के लिए जा चुका था। एक खतरनाक प्रेतात्मा के साथ संबंध बनाने के कारण शोएब लगभग बेहोश था। अगले दिन जब उसे होश आया तो दर्द के कारण उसका पूरा शरीर टूट रहा था। मगर उसने इस बात को नजरअंदाज कर दिया। उसे ऐसा लग रहा था कि उसने खबीस को एक बार कीमत चुका दी। उसके बाद फिर कभी ऐसा नहीं होगा। मगर वो इस बात से अनजान था कि यह तो केवल एक शुरुआत है। तभी उसके दरवाजे की घंटी बजी। उसने जाकर दरवाजा खोला तो सामने उसकी मेड सलमा थी।
क्या साहब? कब से घंटी बजा रही थी? आपने दरवाजा ही नहीं खोला। आप अगर दरवाजा नहीं खोलते ना तो मैं चली जाती थी। कहते हुए सलमा घर के भीतर दाखिल हो गई। खबीस अभी कुछ देर पहले तक घर के अंदर था तो घर में से सड़ी हुई गंध आ रही थी। क्या साहब, आपके घर में कहीं चूहा मर गया है क्या? बास के मारे? मेरी तो जान ही निकली जा रही है। बदबू। कहाँ है बदबू? लगता है तुम्हारी नाक खराब हो गई है। चुपचाप अपना काम करो। कहते हुए शोएब वॉशरूम में चला गया और सलमा घर के काम कर रही थी। ड्रेसिंग टेबल पर कांच पहुंचते पहुंचते कांच में अपना चेहरा देख वह श्रृंगार करने लगी। तभी उसे कांच में खबीस का चेहरा नजर आया। उसने डरते हुए पीछे देखा तो वहां पर कोई नहीं था। तभी ऐसा लगा किसी ने उसके कमर को छुआ। सलमा ने गुस्से में झाड़ू उठाई और बोली साहब। इसीलिए मैं अकेले लड़कों के घर काम नहीं करती। सलमा की इज्जत पर हाथ डालने की कोशिश की ना तो आपकी इज्जत उतार दूंगी मैं। अब कहां पर छुपे हो, बाहर आओ। कहते हुए सलमा शोएब को ढूंढने लगी। मगर शोएब वहां नहीं था। तभी वो वॉशरूम से बाहर आया और बोला। सलमा क्या हो गया? क्यों चिल्ला रही थी? साहब ज्यादा भोले मत बनो। अभी यहां खड़े होकर मुझे परेशान कर रहे थे और अब बाथरूम से आ रहे हो। दिमाग तो ठिकाने पर है। मैं बहुत देर से वॉशरूम में ही था। मुझे देर हो रही है। नाश्ता लगा दो। कहते हुए शोएब हॉल में आ गया। सलमा डरते हुए कमरे में कुछ ढूँढने की कोशिश कर रही थी। सलमा आज मिल जाएगा खाना। आई साहब शोएब खाना खा ही रहा था की उसके मोबाइल पर किसी फिल्म की कास्टिंग के लिए मैसेज आया। ये देख वो खुश हो गया और अपना पोर्टफोलियो लेकर निकल गया। खबीस के कारण उसे ये फिल्म भी मिल गई। लगता है मेरे अच्छे दिन आ गए। अब मुझे आसानी से फिल्म मिल जाती है। आखिर फिल्म मिले क्यों ना। मैं कितना खूबसूरत दिखता हूँ। मेरी खूबसूरती के कारण ही तो कॉलेज के लोग मुझे हमेशा कहते थे की तुझे फिल्म लाइन ज्वाइन कर लेनी चाहिए। मेरी खूबसूरती का जवाब नहीं जियो शोएब।
आत्ममुग्ध होकर शोएब बहुत खुश था। वो घर गया तो मेड शाम के लिए खाना बना रही थी। अचानक शोएब को अपना शरीर भारी लगने लगा और उसकी आँखों के आगे अँधेरा छा रहा था। उसकी नजर अपनी मेड की कमर पर ही थी। आज न जाने क्यों वासना का ज्वर उसके भीतर उमड़ रहा था। इस सलमा को तो यहाँ किचन की बजाय मेरे बिस्तर पर होना चाहिए। कहते हुए वो किचन में गया और उसके साथ जबरदस्ती करने लगा। साहब! होश में आओ। ये सब क्या कर रहे हो? क्या दारू पी रखी है आपने? तुम्हारे पास से बहुत बदबू आ रही है। हट जाओ। चली जाओ यहाँ से। मगर शोएब को उसकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। उसके शरीर में खबीस सवार था, इसलिए उसे संतुष्ट होने में समय लग गया। सलमा यह बर्दाश्त ही न कर पाई और वहीं पर उसने अपना दम तोड़ दिया। शोएब को जब होश आया तो उसने बेजान सलमा की हालत देखी तो उसे खुद पर ही गुस्सा आया। ये क्या हो गया मुझसे? मेरा खुद पर कोई कंट्रोल क्यों नहीं था? क्या हो गया था मुझे? अब मैं क्या करूँगा? शोएब ने डर के मारे सलमा की लाश को अपने ही घर के एक कमरे में छुपा दिया और खुद से ही बातें करते हुए शोएब रोने लगा। क्या करूँ? क्या हो गया? है? क्या करूँ? तभी उसके कानों में आवाज आई। क्यों? शोएब? तुम्हें मजा नहीं आया? देखो, अब आएगा मजा। ये आवाज किसी और की नहीं बल्कि खबीस की थी। वो भी शोएब के सामने आया। उसका भयानक रूप देखकर एक पल के लिए तो शोएब डर गया। मगर उसका डर एक भयानक रूप में परिवर्तित हुआ जब उसे कल रात की तरह यातना भुगतनी पड़ी। अब कभी शोएब की इच्छा पूरी करने के बदले अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करता उस खतरनाक प्रेतात्मा की जरूरतों को पूरा करने के कारण खूबसूरत सा दिखने वाला शोएब अब भयानक नजर आ रहा था। पूरा चेहरा पीला पड़ा था, आंखें अंदर धंस गई थीं। वो ऐसा लग रहा था मानो कई वर्षों से बीमार हो। अब हर दिन समुद्र के किनारे चक्कर लगाने लगा। शायद उसे वही मौलवी नजर आ जाए जिसने उसे खबीस की साधना के बारे में बताया था। न जाने वो मौलवी साहब कब नजर आएंगे। कैसे भी करके इस मुसीबत से छुटकारा पाना है। तुम्हें क्या लगता है तुम मुझसे इतनी आसानी से छुटकारा पा सकते हो? नहीं मरते दम तक मैं तुम्हारी इच्छाएं पूरी करूंगा और तुम मेरी जरूरत। यदि मरने के बाद मुझे तुमसे मुक्ति मिलेगी। तो मार दो मुझे रोज तिल तिल कर मरने से बेहतर है की एक ही दिन में मर जाऊं। इतनी आसानी से तुम्हें मुक्ति नहीं मिलेगी। बहुत दिनों तक खबीस शोएब का शोषण करता रहा। शोएब को वो मौलवी दोबारा नजर नहीं आए। जब खबीस का शोएब से मन भर गया तो एक रात खबीस ने उसे वहीं पर खत्म कर दिया। अब खबीस शोएब की गुलामी से आजाद था। पहले वो मौलवी और अब शोएब। मगर इसे मारने के बाद मेरी जरूरतों का क्या? इससे पहले कि किसी तांत्रिक या मौलवी की मुझ पर नजर पड़े और वो मुझे कैद करे, उसके पहले मुझे जल्द ही नया शिकार ढूंढना होगा। कहते हुए उसकी नजर वहीं दूर खड़ी एक लड़की पर गई जो परेशान नजर आ रही थी। वो भी शोएब का भेष बनाकर उस लड़की के पास पहुंचा और बातें करने लगा। उसकी आंखें लाल थीं। क्या बात है, बहुत परेशान लग रहे हो।