
एक गांव में हरिया नाम का एक गरीब किसान रहता था। उसके परिवार में उसकी पत्नी और एक छोटी बेटी थी जिसका नाम था सुमन। हरिया की अपनी कोई जमीन नहीं थी इसलिए वह दूसरों की जमीन पर खेती करता और जो कुछ पैसे मिलते उससे अपने घर का गुजारा करता था। पिछले कुछ दिनों से हरिया को गांव में कहीं भी काम नहीं मिल रहा था, जिससे वह बहुत परेशान था। हरिया की पत्नी आज कुछ कमा के लाए हो या नहीं, घर में खाने के लिए और कुछ नहीं बचा है। बस थोड़े से दाल चावल बचे थे उसकी मैंने खिचड़ी पका दी है। पिछले कई दिनों से गाँव में कोई काम नहीं मिल रहा है। लोगों का कहना है की अभी इस महीने उनके पास करवाने को कोई काम नहीं है। जब फसलों की कटाई शुरू होगी तब काम मिलेगा। अब मैं तो यह सोच कर परेशान हूँ की इस महीने अगर कोई काम नहीं मिला तो सबके खाने पीने का जुगाड़ में कैसे करूँगा। आप चिंता मत करो भगवान हमारी मदद जरूर करेंगे। पापा इस बार गाँव में जो मेला लगेगा उसमें आप मुझे गुड़िया दिलाओगे ना। अगली बार तो आपने यह कहा था की अभी मैं बहुत छोटी हूँ। अगले साल तक मैं बड़ी हो जाउंगी। अब तो मैं बड़ी हो गई हूँ तो अब मुझे गुड़िया दिलाओगे ना। हाँ बेटा इस साल में तुम्हें जरूर गुड़िया दिलाऊंगा। अब चलिए खाना खा लीजिए। ठंडा हो रहा है। सरला तुम भी आकर खाना खा लो। जी आप खा लीजिए, मैं थोड़ी देर बाद खा लूंगी।
हरिया और उसकी बेटी दोनों खाना खा लेते हैं। तभी उनके दरवाजे पर एक संत की दस्तक होती है। कोई तो कुछ खाने को दे दो, भगवान तुम्हारा भला करेगा। संत की आवाज सुनकर हरिया और उसकी पत्नी बाहर आते हैं। बेटा, क्या तुम्हारे पास खाने को कुछ है? बाबा हमारे पास तो खुद के खाने के लिए भी ठीक से खाना नहीं हो पाता। हम आपको कहां से देंगे? थोड़े से खिचड़ी पकाई थी, वह भी मैं अभी खा लिया हूं। अब हमारे पास कुछ भी नहीं है। रुकिए बाबा, अभी मेरे हिस्से का खाना बचा हुआ है। मैं अभी लेकर आती हूं। पर सरला तुम अगर यह खाना बाबा को दे दोगी तो तुम क्या खाओगे? बर्तन में तो बस थोड़े से ही चावल बचे हैं। आप इसकी चिंता मत कीजिए। मैं भूखी रह लूंगी। लेकिन अपने घर के आंगन से मैं किसी संत को भूखा नहीं जाने दे सकती। इससे मुझे पाप लगेगा। ठीक है सरला! जैसी तुम्हारी इच्छा। सरला अपने हिस्से का खाना लाकर बाबा को दे देती है और बाबा उस खाने को खा लेते हैं। बेटा, तुमने मेरी भूख मिटाई है। मैं तुम्हारा बहुत आभारी हूं। एक भूखे व्यक्ति को खाना खिलाना सच में पुण्य का काम होता है और यह पुण्य तुमने आज कमा लिया है बेटी। मेरे पास तुम्हें देने को कुछ नहीं है, लेकिन यह एक अंगूठी है। इसे अपने पास रखो। यह तुम्हारी बहुत मदद करेगी। पर याद रखना, रात के समय इसे मत पहनना।
रात में इसकी शक्ति बढ़ जाती है जो तुम्हारी उंगली सहन नहीं कर पाएगी। धन्यवाद बाबा। हम आपकी आज्ञा का पालन करेंगे। संत के जाने के बाद हरिया अंगूठी को देखकर सरला से कहता है। इस अंगूठी में ऐसा क्या है जो बाबा ने हमें इसे देने के लिए चुना? शायद यह हमारे अच्छे कर्मों का फल है। आपने सुना तो होगा ना हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का फल हमें जरूर मिलता है। चलिए अब अंदर चलते हैं। पर सरला तुमने अपने हिस्से का खाना तो बाबा को दे दिया। अब तुम क्या खाओगी? काश हमारे पास थोड़े से और चावल होते। जैसे ही हरिया यह बात कहता है, अंगूठी में एक चमक सी उठती है और हरिया के सामने तुरंत एक चावल की प्लेट आ जाती है। सरला, यह देखो, जैसे ही मैंने चावल का नाम लिया, यहां चावल प्रकट हो गया। यानी कि यह अंगूठी सच में जादुई है। इससे हम कुछ भी खाने को मांग सकते हैं। अरे वाह। यह तो बहुत अच्छी बात है। तो आप इससे थोड़ी पूरी सब्जी मांगे ना। मेरा काफी दिन से पूरी सब्जी खाने का मन कर रहा था। ठीक है सरला, मैं अभी मांगकर देखता हूं। ये अंगूठी हमें थोड़ी सी पूरी सब्जी दे दो। हरिया के कहते ही फिर से अंगूठी में एक चमक सी उठती है और हरिया के सामने पूरी सब्जी की प्लेट आ जाती है। उसको देखकर सरला और हरिया बहुत खुश हो जाते हैं। अरे वाह! कितने दिनों बाद आज पूरी सब्जी देखने को मिली है। चलो अब हम सब बैठकर इसे खाते हैं। ऐसे वह सभी उस दिन भर पेट भोजन करते हैं। अगले दिन सुबह। पापा, आज गांव में बहुत बड़ा मेला लगने वाला है। आज आप मुझे गुड़िया दिलाओगे ना। हां, मेरी प्यारी गुड़िया, इस बार मैं तुम्हें जरूर गुड़िया दिलाऊंगा।
सरला, तुम मेरी प्यारी गुड़िया को तैयार कर दो और तुम भी तैयार हो जाओ। हम सब आज उस बड़े मेले में जाएंगे जहां जाने के लिए हम अक्सर सपना देखा करते थे। सभी तैयार हो जाते हैं। फिर हरिया अंगुठी से कुछ पैसे मांगता है और उसके हाथ में पैसे आ जाते हैं और फिर वह सब मेले की ओर निकल पड़ते हैं। उस गांव में हर साल एक बहुत बड़ा मेला लगता था जिसमें दूर दूर के गांव से व्यापारी आते थे। उस मेले में तरह तरह की चीज मिलती थी। पापा, वह देखो गुड़िया की दुकान, मुझे गुड़िया दिला दो ना। भैया, जरा यह वाली गुड़िया दिखाना। यह लो मेरी प्यारी गुड़िया, यह तुम्हारे लिए। पापा, यह तो बहुत ही सुंदर गुड़िया है भैया। कितना दम है इस गुड़िया का जी ₹50। यह लो भैया, इस गुड़िया के पैसे। सरला तुम भी अपने लिए कुछ पसंद कर लो। वहां देखो कितनी सुंदर साड़ी की दुकान है। चलो वहां से तुम्हारे लिए साड़ियां भी पसंद करते हैं। भैया, जरा वह वाली साड़ी दिखाना। अरे भैया, वह साड़ी बहुत महंगी है। तुम उसे नहीं खरीद पाओगे। कोई सस्ती सी साड़ी देख लो। भैया, हमें वही साड़ी देखनी है। आप वही साड़ी दिखाओ। सरला तुम्हें यह साड़ी कैसी लगी? यह साड़ी तो बहुत अच्छी है, पर महंगी भी बहुत होगी। सरला तुम इसकी चिंता मत करो। बस तुम यह बताओ तुम्हें यह साड़ी पसंद तो है ना? हां जी, साड़ी तो बहुत पसंद आई। भैया, इस साड़ी का क्या दाम है? यह 1500 रुपए की साड़ी है। ठीक है भैया, यह लीजिए 1500 रुपए। और यह साड़ी हमारे लिए पैक कर दीजिए। हरिया साड़ी को खरीद लेता है। हरिया ने उसे मेले में से और भी काफी सारे सामान खरीदे।
इस मेले में रामचंद्र के दो नौकर मोहन और प्यारे भी आए हुए थे। रामचंद्र गांव का सबसे अमीर सेठ था और मोहन और प्यारे उसके नौकर। जब मोहन और प्यारे ने हरिया को बहुत सारा सामान खरीदते हुए देखा तो वे दोनों आश्चर्य में हो जाते हैं। मोहन यह देख, यह तो वही हरिया है ना जो अक्सर अपने गरीबी पर पूरे गांव घर में रोता रहता है। ये देख कैसे सामान खरीद रहा है। आखिर इसके पास इतने सारे पैसे कहां से आए? हां प्यारे, यह तो वही गरीब किसान हरिया है। अभी दो दिन पहले ही तो यह सेठ जी से काम मांगने आया था। पर सेठ जी ने इसे काम देने से मना कर दिया था। चल उसी से पूछ कर देखते हैं। दोनों हरिया के पास आते हैं। और भाई हरिया, कैसी चल रही है खरीदारी? लगता है बहुत सामान खरीदा है आज। हरिया जादुई अंगूठी की बात को छुपाते हुए कहता है। नहीं भाई। बस वह थोड़ा बहुत घर के लिए सामान है। बस और कुछ नहीं। अच्छा हरिया भाई, तुम तो दो दिन पहले तो सेठ जी से काम मांगने आए थे ना? लगता है तुम्हें कहीं पर काम मिल गया है।
हां भैया, कहीं और काम मिल गया था तो बस उसी से बच्चों को मेला घुमाने ले आया। अच्छा हरिया भाई, तुम करो खरीदारी, हम चलते हैं। दोनों नौकर वहां से चले जाते हैं। हरिया का परिवार मेला घूमने के बाद घर आ जाता है। आज उनके परिवार के चेहरे पर अलग ही चमक की। सभी बहुत खुश थे। पापा आज तो मेरे पास बहुत सारे खिलौने हैं। अब मैं अपने दोस्तों को ये खिलौने दिखाउंगी। मेरे पास भी बहुत सारे खिलौने हो गए हैं। हां बेटा, क्यों नहीं? अब से तुम्हें जो भी चीज चाहिए, तुम अपने पापा से मांग लेना। वह तुम्हें मना नहीं करेंगे। इस तरह हरिया के दिन हंसी खुशी गुजर रहे थे। हरिया ने अंगूठी की मदद से अपने घर के हालातो को सुधार लिया और अंगूठी से कुछ पैसे मांग कर गांव में उसने एक कपड़े की दुकान खोली। दुकान खोलने के साथ ही हरिया की दुकान चल पड़ी। उसकी दुकान पर तरह तरह के कपड़े थे। एक से बढ़कर एक यह सब हरिया ने उस अंगूठी की मदद से हासिल किए थे। नए नए डिजाइन के कपड़े होने की वजह से हरिया की दुकान पर अक्सर ही लोगों की भीड़ रहा करती थी। अब यह बात धीरे धीरे पूरे गांव भर में फैल रही थी की हरिया जो कितना गरीब था।
वह अचानक से अमीर हो गया है और उसने गांव में एक बहुत बड़ी कपड़े की दुकान खोली है। अरे भाई मैंने सुना है की हरिया ने गांव में कोई दुकान खोली है। हां भाई मैंने भी सुना है हरिया ने बहुत बड़ी दुकान खोली है। अरे भाई मैं तो उसकी दुकान को देख कर भी आया हूं। हरिया ने वाकई में बहुत बड़ी दुकान खोली है और उसके पास नई नई प्रकार के कपड़े हैं। अच्छा आखिर यह कैसे हुआ? हरिया के पास दुकान खोलने के लिए इतने पैसे आए कहां से? भाई, इस बारे में तो मुझे नहीं पता। बस मुझे इतना ही पता है की उसमें गांव में एक बहुत बड़ी कपड़े की दुकान खोली है। हे भगवान काश मेरे पास भी इतने पैसे होते तो मैं भी अपना कोई छोटा सा कारोबार खोल लेता। अरे भाई पैसे नहीं है तो तुम अब हरिया से उधार ले लो। हरिया दिल का बहुत नेक इंसान है। वह तुम्हें जरूर उधार दे देगा। हां, तुम ठीक कहते हो। मैं हरिया से एक बार बात करके देखता हूं। यार कुछ पैसे तो मुझे भी चाहिए थे। मुझे भी अपना छोटा सा कारोबार शुरू करना है। क्यों ना हम कल हरिया से बात करके देखें। क्या पता हरिया ही हमारी कुछ मदद कर दें। वह लोग इतनी बातें कर ही रहे थे तभी उन्होंने देखा की हरिया वहीं से गुजर रहा था। रामू ने हरिया को आवाज लगाई।
अरे हरिया भाई कहाँ जा रहे हो? कहीं नहीं भाई बस तुम्हारे पास ही आ रहा था। बहुत दिन हो गए थे तुमसे मिले। सोचा तुमसे भी मिलता आऊँ। हरिया भाई, मैंने सुना है की तुमने कपड़े की बहुत ही बड़ी दुकान खोली है। हाँ भाई बस इसी बारे में मैं तुम्हें बताने आया था। मैंने एक कपड़े की दुकान खोली है और अब उस दुकान से मेरी अच्छी कमाई हो रही है। पर तुमने दुकान कैसे खोली? तुम्हारे पास इतने पैसे कहाँ से आए? देखो भाई, यह बात मैं तुम्हें इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि तुम मेरे दोस्त हो और मुझे तुम लोगों पर बहुत विश्वास है। कुछ दिन पहले मेरे घर पर एक साधु आए थे। हरिया उन सबको जादुई अंगूठी के बारे में सारी बात बता देता है। जादुई अंगूठी सच में तुम्हारे पास जादुई अंगूठी है और तुमने उसी से वह दुकान खोली है? हाँ, मैंने उसी से वह दुकान खोली है और मैं यहां तुम्हारे पास इसलिए आया हूं कि तुम भी अगर अपना कोई कारोबार शुरू करना चाहते हो तो बेझिझक आकर तुम मुझसे पैसे ले सकते हो। मैं तुम्हें कारोबार खोलने के लिए पैसे दूंगा।
अरे हरिया भाई, यह बात कह कर तो तुमने हमारा दिल ही जीत लिया। ठीक है हरिया भाई, हम किसी को नहीं बताएंगे। इस तरह हरिया ने गांव वालों की मदद की और सभी को कारोबार खोलने के लिए पैसे दिए। अब गांव के लोगों ने भी अपना अपना कारोबार खोला। अब यह बात धीरे धीरे गांव के अमीर सेठ रामचंद्र तक भी पहुंच जाती है। मोहन और प्यारे। यह मैं क्या सुन रहा हूं। हमारे गांव में रहने वाले गरीब हरिया ने गांव में बहुत बड़ी कपड़े की दुकान खोल ली है। यह तो वही हरिया है ना, जो कुछ दिन पहले मेरे पास काम मांगने आया था। तो फिर इसके पास अचानक से इतने सारे पैसे कहां से आए? हां सेठ जी, हम भी यही सोच कर हैरान हैं। थोड़े दिन पहले हमने उसे मेले में देखा था। बहुत सारे सामान खरीद रहा था जैसे उसके पास अचानक से बहुत सारे पैसे आ गए हो और अब सुनने में आ रहा है की गांव में उसने एक नई दुकान खोली है। हां सेठ जी मैंने तो देखा भी है बहुत ही सुंदर दुकान है। उसकी 1 से 1 डिजाइन के कपड़े हैं उसकी दुकान में। मोहन जरा पता तो कर। आखिर उस गरीब हरिया के पास इतने सारे पैसे कहां से आ रहे हैं? आखिर ऐसी कौन सी लॉटरी लगी है उसके हाथ में जो कुछ ही दिन में वह इतना मालामाल हो गया है।
रामचंद्र की कहे अनुसार उसके दोनों नौकर अब हरिया पर नजर रखने लगते हैं। हरिया कब जाता है, कब घर आता है, इन सब पर उन दोनों आदमियों की नजर थी। एक दिन जब हरिया रात के समय घर आता है, तब वो दोनों आदमी चुपके से उसके घर के पास खड़े हो जाते हैं। वह देखते हैं की हरिया अपने हाथ में से अंगूठी निकाल रहा है और अपनी पत्नी से कह रहा है सरला। अभी मैं इस अंगूठी को निकाल देता हूं। काफी रात हो गई है सुबह इसे पहन लूंगा। वैसे भी अब हमारे पास भगवान का दिया सब कुछ है। अब इस अंगूठी से हमें और कुछ नहीं चाहिए। मुझे लगता है अब इस अंगूठी को हमें संभाल कर रख देना चाहिए। क्योंकि अब मेरा कारोबार भी काफी अच्छा चल रहा है। तो अभी हमें इस अंगूठी की जरूरत नहीं है। मैं सोच रहा हूं कि इस अंगूठी को मुझे किसी जरूरतमंद को दे देना चाहिए जो मेरी ही तरह गरीब और ईमानदार हो। जो इस अंगूठी का सही इस्तेमाल करें। हां जी, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। यह अंगूठी हमें किसी ऐसे ही इंसान को देनी चाहिए। रामचंद्र के दोनों नौकर यह सारी बात रामचंद्र को बताते हैं। हां सेठ जी, उनके पास एक अंगूठी है। उसके बारे में वह लोग बातें कर रहे थे की उस अंगूठी ने उनकी किस्मत बदल दी। अच्छा तो यह बात है लेकिन एक अंगूठी की वजह से ऐसा कैसे हो सकता है? क्या वह कोई जादुई अंगूठी है? क्या उस अंगूठी ने हरिया को पैसे दिए हैं? जाओ, इसका पता लगाओ। अगले दिन फिर वह दोनों आदमी चुपके से हरिया के घर आते हैं और हरिया और उसकी पत्नी की बातचीत को सुनते हैं।
सुनिए, मुझे एक बहुत ही सुंदर गुलाबी रंग की साड़ी चाहिए। आप इस अंगूठी से मांग लीजिए ना। तुम्हारे पास इतनी सारी साड़ियां तो है, फिर तुम्हें गुलाबी रंग की साड़ी क्यों चाहिए? और दुकान में भी काफी सारी साड़ियां रखी है। जाकर दुकान में से पसंद कर लो। नहीं, मेरे पास एक भी गुलाबी रंग की साड़ी नहीं है और मुझे एक ऐसी साड़ी चाहिए जो अभी तक दुकान में भी नहीं है। आप इस अंगूठी से गुलाबी रंग की साड़ी मांग कर देखिए ना। हरिया अंगूठी से गुलाबी कलर की साड़ी मांगता है और गुलाबी कलर की साड़ी प्रकट हो जाती है। यह देखकर दोनों नौकर बहुत आश्चर्य में हो जाते हैं और यह बातें जाकर वह दोनों रामचंद्र सेठ को बताते हैं।
अच्छा तो उस हरिया ने अंगूठी के सामने साड़ी बोला और अंगूठी से साड़ी निकल आई। अब तो पक्का हो गया है वह कोई जादुई अंगूठी है। तुमने कहा था की रात के समय वह हरिया अंगूठी को अपने उंगली में से निकाल देता है। हाँ सेठ जी, वह अंगूठी को निकाल कर अपने टेबल पर रख देता है। तो ठीक है, उस अंगूठी को हासिल करने का सबसे सही वक्त रात का है। मैं रात को ही उस हरिया के घर जाऊंगा। ऐसा सोच कर रामचंद्र रात के समय चुपके से हरिया के घर पहुंच जाता है। रात के समय वह अंगूठी का तेज बहुत ज्यादा था। वह अलग ही चमक रही थी। अरे वाह! इस अंगूठी की चमक तो देखो कितनी जगमगा रही है। आखिरकार यही है वह जादुई अंगूठी जिससे यह हरिया अमीर हुआ है। अब मैं अंगूठी को अपने घर ले जाऊंगा और इस अंगूठी की मदद से गांव का सबसे अमीर आदमी बन जाऊंगा।
यह सोच कर रामचंद्र उस अंगूठी को वहां से लेकर घर आ जाता है और उस अंगूठी को हाथ में पहन कर अंगूठी से बहुत सारे सोने के सिक्के मांगता है। हे अंगूठी मुझे बहुत सारे सोने के सिक्के दे दो। इतने सोने के सिक्के की मैं रातों रात अमीर बन जाऊं। जैसे ही रामचंद्र ऐसा कहता है, उसकी उंगली पर लाल निशान पड़ जाते हैं और उसे काफी जलन होने लगती है। रामचंद्र दर्द से कराहते हुए उसे अंगूठी को फेंक देता है और अस्पताल की ओर भागता है। रामचंद्र अस्पताल पहुंचता है और डॉक्टर को अपना हाथ दिखाता है। यह कैसे हुआ? इतनी ज्यादा चोट तुम्हें कैसे आई? तुम्हारा हाथ तो पूरी तरह से घायल है। मैं अभी इसकी पट्टी कर देता हूं। डॉक्टर रामचंद्र के हाथों की पट्टी कर देता है और उससे कहता है। देखो, मैंने तुम्हारी पट्टी तो कर दी है, पर तुम्हारे हाथों के जख्म बहुत गहरे हैं। इसे ठीक होने में कम से कम दो महीने का समय लग जाएगा और दो महीने तक तुम्हें अपने हाथों का ध्यान रखना होगा। यह सुनकर रामचंद्र बहुत दुखी होता है। यह सब उस अंगूठी के वजह से हुआ है। ना मैं उस अंगूठी को चुराता और ना ही मेरे हाथ का यह हाल होता। इतनी जलन हो रही है मेरे हाथ में क्या बताऊं? अगर मैं ज्यादा पैसे का लालच ना करके उस अंगूठी को ना लिया होता तो आज मेरे हाथों की ऐसी हालत नहीं होती।
रामचंद्र उस अंगूठी को हरिया को वापस करने जाता है। यह लो हरिया अपनी अंगूठी कुछ वक्त के लिए मेरे मन में इस अंगूठी के प्रति लालच आ गया था। पर इस अंगूठी ने मुझे अच्छा सबक सिखाया है। अब यह अपनी अंगूठी तुम अपने पास रखो। मुझे इसकी जरूरत नहीं है। अब अंगूठी हरिया के पास वापस आ चुकी थी। सरला अब वक्त आ गया है कि इस अंगूठी को किसी ऐसे व्यक्ति के हाथ में दिया जाए जिसको इसकी बहुत जरूरत है। हमें जल्द ही ऐसे व्यक्ति की तलाश करनी होगी। जी हां, आप बिल्कुल सही कह रहे हैं। अब इस अंगूठी को किसी गरीब को देने का सही वक्त आ गया है। वह लोग यह बातें कर ही रहे थे की तभी उनके घर पर एक गरीब बूढ़ा व्यक्ति आता है। कोई तो कुछ खाने को दे दो, भगवान तुम्हारा भला करेगा। सरला बूढ़े व्यक्ति के लिए खाना लाती है। बूढ़ा व्यक्ति खाना खाता है। खाना खाने के बाद हरिया उस बूढ़े व्यक्ति को वह जादुई अंगूठी दे देता है और उस जादुई अंगूठी की सारी शक्तियों के बारे में भी बता देता है। बूढ़ा आदमी बहुत खुश होकर वहां से चला जाता है। थोड़ी दूर जाकर वह बूढ़ा आदमी वापस अपने संत के रूप में आ जाता है। वह बूढ़ा आदमी और कोई नहीं बल्कि वही संत था, जिसने हरिया को वह जादुई अंगूठी दी थी और वह अब अपनी अंगूठी वापस लेने आया था। हरिया का जीवन अब सुधर चुका था। हरिया ने उस अंगूठी की मदद से अपने जीवन को ही नहीं सुधारा बल्कि गांव के लोगों के जीवन को भी बेहतर बनाया।