Kacha Kalua – कच्चा कलुआ | Hindi Horror Story | Horror Kahani | Bhootiya Kahani

Kacha Kalua

यह कहानी केवल मनोरंजन के लिए है। हम किसी भी तरह के अंधश्रद्धा को बढ़ावा नहीं देते। तेज बारिश हो रही थी। रात के करीब 11:00 बजे का टाइम था। अपने कमरे में टेबल लैम्प की रौशनी में मोहन कुछ फाइलों को पढ़ रहा था। उन फाइल्स को पढ़ते वक्त उसकी आँखों से आँसू आने लगे। क्या हुआ? आप परेशान लग रहे हैं। यह तो अस्पताल की रिपोर्ट है। क्या लिखा है इसमें? अरे तुम अभी तक सोई नहीं। डॉक्टर ने कहा है ना, तुम्हें प्रॉपर आराम करना है। दवाई ली तुमने? हाँ, मैंने दवाई ले ली है। मगर आप बताओ तो रिपोर्ट में क्या लिखा है। और क्या लिखा होगा? हमारी खराब किस्मत। सब कुछ ठीक है मगर ना जाने क्यों हमें संतान का सुख नहीं मिल रहा है। ऐसा कैसे हो सकता है सब कुछ ठीक है तो। तुम ज्यादा मत सोचो सो जाओ। कल किसी और डॉक्टर से रिपोर्ट शेयर करूंगा।

रात के करीब 02:00 बजे रजनी के सोने के बाद मोहन खुली हवा की तलाश में घर की छत पर चला आया। तभी उसने देखा की कुएं पर कोई लड़की बैठी हुई है और वो उसी की ओर देख रही थी। मोहन कुछ समझ पाता उससे पहले ही वो लड़की अचानक कुएं में कूद गई। घबराते हुए मोहन तुरंत उसे बचाने के लिए कुएं में उतर गया। मगर वहां पर कुछ भी नहीं था। मोहन उस कुएं में डूबने लगा। बचाओ बचाओ, मुझे बचाओ। मोहन की आवाज सुनकर पास सो रही उसकी पत्नी रजनी जाग गई। क्या हुआ? आप क्यों चीखे? और आप गीले कैसे हो रहे हो? रजनी की आवाज सुनकर मोहन ने आँखे खोली तो देखा कि वो पूरा भीगा हुआ था। मैं मैं यहाँ पर कैसे आया? मैं तो कुएं में था। कैसी बकवास बातें कर रहे हो? आप तो यहीं पर थे, कुएं में कैसे जा सकते हो? मोहन को कुछ समझ में नहीं आया कि उसके साथ क्या हुआ। वो तुरंत अपनी जगह पर से खड़ा हुआ और कुएं के पास जाकर कुछ ढूँढने लगा। रजनी भी उसके पीछे पीछे वहां आ गई मगर उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। दूर खड़ी वही लड़की उन दोनों को देख रही थी। वो भी पूरी तरह से भीगी हुई थी। 

देखो उस लड़की को देखो। उसे बचाने के लिए ही मैं पानी में कूदा था। मगर जैसे ही रजनी ने उसे देखा वो लड़की वहां से गायब हो गई। कौन है वहां पर? कोई भी तो नहीं है। चलो चल कर कपड़े बदल लो। वरना गीले कपड़ों में सर्दी लग जाएगी। कहते हुए रजनी मोहन का हाथ पकड़ कर उसे घर के भीतर ले जाने लगी। माँ कहाँ जा रही हो? मुझे ढूँढ़ रही हो ना? मैं तो यहाँ हूँ। वो आवाज सुनते ही रजनी पीछे मुड़ कर देखने लगी। मगर वहाँ पर कोई नहीं था। मैं भी ना लगता है मेरे कान बज रहे हैं। अगले दिन सुबह जब रजनी चाय बना रही थी तो उसे किसी छोटे बच्चे के रोने की आवाज आने लगी। वो उस आवाज के पीछे पीछे उसी कुएँ के पास आ गई। उसने कुएँ के आसपास देखा तो वहाँ पर कोई भी नजर नहीं आया। ऐसा कैसे हो सकता है? बच्चे के रोने की आवाज यहीं से आ रही थी। बच्चा तो कहीं नजर नहीं आ रहा है। क्या हुआ बहुरिया? यहाँ पर क्या कर रही हो? जाओ जाओ। वो मोहन तुम्हें बुला रहा है। तनिक दो घड़ी जाकर वहाँ पर बैठ जाओ। वो वैसे भी बहुत परेशान रहता है। अपनी सास की बात सुनकर रजनी अपने कमरे में जाने लगी। तभी उसे वापस किसी बच्चे के रोने की आवाज आने लगी। वो देखने के लिए पलटी तो उसे भी वो लड़की नजर आई जो कल मोहन को दिखी थी। वो उस लड़की को देख कर बेहोश हो जाती है। 

आज मैं बहुत खुश हूं। तुम मां बनने वाली हो। ये कैसे हो सकता है? अरे बहुरिया जैसे होता है वैसे ही हुआ है। हम तुम्हारे लिए बहुत खुश है। कहते हुए जानकी जी मिर्च से रजनी की नजर उतार उसे जला देती है। मिर्च के जलते ही रजनी को फिर से बच्चे के रोने की आवाज आती है। वो उस आवाज से सम्मोहित होने लगती है। और वो जलती हुई मिर्च को ठोकर मार देती है। ये क्या किया बहुरिया? हे ईश्वर रक्षा करना। रजनी उस आवाज के पीछे पीछे कुएं तक पहुंच जाती है। वहां उसे कुएं पर वही लड़की बैठी नजर आती है। अभी भी वक्त है। यहां से चले जाओ। वरना तेरी संतान भी ऐसे ही मार दी जाएगी। कहते हुए वो लड़की रजनी के देखते ही देखते कुएं में कूद गई। अरे कोई बचाओ उसे कोई है। प्लीज कोई बचाओ उसे। कोई देख रहा है प्लीज। कोई बचाओ उसे रजनी के पीछे पीछे मोहन भी उस कुएं तक आया था। उसने भी उस लड़की को कुएं में गिरते हुए देख लिया था। मोहन को कुछ समझ नहीं आ रहा था, इसलिए उसे समझा बुझाकर कमरे में ले गया। मगर उसके मन में भी कई सारे सवाल थे। वो उन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए गांव के तांत्रिक के पास पहुंचा। 

यह तो बहुत खुशी की बात है कि रजनी गर्भवती है। मगर जो कुछ भी तुमने बताया वो बहुत चिंता का विषय है क्योंकि बुरी आत्माओं को कई बार गर्भवती औरत की खुशबू आ जाती है और वो उसके बच्चे की तलाश में उसके आस पास मंडराती है। हो न हो उस लड़की का नजर आना रजनी के होने वाले बच्चे से कोई न कोई संबंध जरूर है।

आप कुछ भी करके रजनी और मेरे होने वाले बच्चों की सुरक्षा का प्रबंध कीजिए। अवश्य मगर उसके पहले हमें यह पता लगाना होगा कि उस आत्मा का मकसद क्या है। वो तुम्हें और रजनी को ही नजर आई थी। इसीलिए आज रात वहीं पर हम विशेष पूजा करेंगे। मोहन ने तांत्रिक के अनुसार सारी पूजा की व्यवस्था कर ली थी। देर रात तांत्रिक जब उस कुएं के आसपास पूजा की तैयारी कर रहा था। तेज हवाएं चलने लगी। और पूजन सामग्री हवा में उड़ रही थी। यह देख मोहन के चेहरे पर चिंता के भाव आ गए। मगर तांत्रिक शांत बैठे हुए थे। तेज हवा में भी उन्होंने कुछ मंत्र पढ़ते हुए एक दीया लगाया। जो दीया जल रहा था। जैसे ही दीया जला, सब कुछ शांत हो गया। तांत्रिक ने पूजा शुरू की तो छोटे बच्चों के रोने की आवाज आने लगी। तांत्रिक और मोहन दोनों सतर्क होकर आवाज की ओर ध्यान लगाने लगे। आवाज कुएं के भीतर से आ रही थी। यह तो बहुत शक्तिशाली आत्मा है। इसे कच्चा कलुआ कहा जाता है। कच्चा कलुआ मतलब।

कच्चा कलुआ नवजात लड़कियों की आत्मा होती है। ऐसी आत्मा जो कई वर्षों तक भटकती रहती है। यह बहुत शक्तिशाली है। मगर नवजात शिशु की आत्मा यहां कैसे? कहते हुए तांत्रिक जानकी जी की तरफ देख रहा था। जानकी जी के चेहरे का रंग बदल गया मगर उन्होंने सच्चाई छुपा ली। हम तो पिछले कई बरसों से यहां रह रहे हैं। हमने कभी किसी बुरी आत्मा को यहां नहीं देखा। जब से यह रजनी बहुरिया गर्भवती हुई है, तब से यह आत्मा वगैरह सुन रहे हैं। ना जाने कौन सी आफत हमारे बच्चों की खुशियों के पीछे पड़ी है। आप चिंता ना करें, वह तो हम आसानी से पता लगा लेंगे। कहते हुए तांत्रिक ने वहीं पर रखे हुए नरमुंड पर अपनी हथेली को चीरकर खून डाला और धीरे धीरे वह मंत्र पढ़ता जा रहा था। देखते ही देखते कुएं में बवंडर उठा और छोटे बच्चों के कंकाल बाहर आने लगे। यह सब क्या है? इस कुएं में से यह सब कैसे बाहर आ सकता है? कहते हुए वह जानकी जी की तरफ देख रहा था। मगर जानकी जी डरते हुए अपनी जगह पर खड़ी हो गई। तभी वह लड़की उनके सामने आई और तेजी से हंसने लगी। मुझे मारते हुए डर नहीं लग रहा था। अब मुझसे डर कर कहां जा रही हो?

मैंने कुछ नहीं किया, मैंने कुछ नहीं किया। तुम चली जाओ यहाँ से। कहते हुए जानकी जी रोने लगी। जानकी मुझे सब पता चल गया है। यह तेरी ही बेटी है। तूने बेटे की चाह में अपनी बेटी को मार दिया था और ये पाप तूने एक बार नहीं बल्कि दो बार किया। बोल सही कह रहा हूँ ना मैं। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। हमारे खानदान में किसी को भी लड़की नहीं हुई थी सिवाय मेरे तो मोहन के पिता जी ने उन्हें अपने हाथों से इस कुएं में जिंदा डाल दिया था। उन लड़कियों के पहले भी हमारे खानदान में जन्मी सारी लड़कियों को इस कुएं में डाल कर मार दिया गया था। उन लड़कियों के श्राप के कारण ही तो तुम्हारे खानदान को वारिस नहीं मिल पा रहा है। मगर इतने वर्षों बाद वे लोग वापस क्यों आए हैं? तुम्हारी पत्नी गर्भवती है और उसके गर्भ में कन्या ही है। इन लोगों को लगा कहीं तुम लोग उसे भी ना मार दो। इसलिए ये लोग उसकी रक्षा के लिए आई है। यदि ऐसी बात है तो मैं इन लोगों को वचन देता हूँ की मैं अपनी बेटी की हमेशा रक्षा करूंगा और आप मेरी इन सभी बहनों और बुआओं की मुक्ति के लिए कुछ विशेष पूजा करवा दीजिए। कच्चा कलुआ अपनी मर्जी की मालकिन होती है। उनकी मुक्ति उन्हीं के हाथों में है। शायद इस घर के आंगन में किसी लड़की के पायल की झंकार उनकी मुक्ति का रास्ता बन जाए। हरी ओम अपना और रजनी बिटिया का ध्यान रखना। उस दिन के बाद से कई बार मोहन और रजनी को कच्चा कलुआ नजर आया, मगर उसने उन दोनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top