90 DAYS STUDY CHALLENGE 🔥 | Secret Tips of Every Topper | Motivational St for Students

तीन महीने ग़ायब होकर ऐसे पढ़ो कि जब रिजल्ट आया ना तो लोग हैरान रह जाएं देखकर कि यार यह कैसे हो गया और इसके लिए मैं आपको इस story के अंदर छह पढ़ने के रामबाण टेक्निक्स बताने वाला हूं। जो आपको बचे हुए तीन महीने के अंदर फॉलो करने हैं अगर आपको एग्जाम में फोड़ना है तो। दोस्तों, आज से देखा जाए तो वाकई में सिर्फ़ और सिर्फ़ तीन महीने बचे हैं तुम सबके पास। बहुत सारे बहाने हुए, बहुत गलतियां हुई। बस कर दो अब, अब और नहीं। अब आगे और कुछ भी ग़लती करी ना तो सब ख़त्म हो जाएगा और यह बात भी मैं हवा में नहीं बोल रहा हूं। सच में जब तक कहानी ना पता चले लोगों को तब तक सारी बात समझ में कहां आती है तो चलो तुम सभी को पहले एक कहानी की सैर कराता हूं, आग लगाता हूं तुम्हारे अंदर। उसके बाद पढ़ने की टेक्निक्स जानेंगे। देखो, पिछले छह महीने बर्बाद किए, बहुत ख़राब किए। अब असली में औकात पता चल रही है। जब पिछले साल के क्वेश्चन पेपर्स देखते होंगे तो सवाल समझ ही नहीं आता होगा कि क्या सच में? यह हमारे ही क्लास के क्वेश्चन पेपर्स हैं। ज़रा सोचो अभी तुम्हारी आंखों में खून के आंसू आ रहे हैं। तुम सोच तक नहीं पा रहे हो उनके क्वेश्चन को. तीन महीने बाद जब उनको सामने से फेस करना होगा उस वक़्त एकदम कहां से ऐसा जिगरा लाओगे दोस्त. जिस दिन एग्जाम ख़त्म होगी उस रात अपनी आंखों में नींद कहां से लाओगे दोस्त? परीक्षा के बाद जिस दिन रिजल्ट आएगा तब सुकून कहां से लाओगे? जब रिजल्ट में फ़ैल लिखकर आएगा उस वक़्त अपने मां बाप की आंखों में दुबारा से वह विश्वास कहां से लाओगे दोस्त? ताने सुनने पड़ेंगे उम्र भर और वह जो लोग कहते हैं ना कि 1 piece of paper cannot decide your future. यह वह लाइन है जो ख़राब रिजल्ट के बाद टूटने नहीं देती, आपको हारने नहीं देती।लेकिन इस लाइन का मीनिंग ना लोग ग़लत तरीके से लेते हैं। इसे ना बड़ा ही मॉडर्न लाइन में जाता है, तो इसका जवाब भी ना मॉडर्न तरीकों से देता हूं। चलो माना, 1 piece of paper cannot decide your future. यह बात तुम मान सकते हो। तुम्हारे वह निठल्ले दोस्त मान सकते हैं। लेकिन यार, वह क्या है ना, वह कम्पनीज के HR इस बात को नहीं मानते। वह कम्पनीज जो लाखों के पैकेज देती है ना, वह इन बातों को नहीं मानती। वह बैंक जो क्रेडिट कार्ड देता है वह इस बात को नहीं मानता और वह बाप जो अपनी लड़की तुम्हें देगा वह भी इस बात को नहीं मानता। दोस्त बहुत ज़्यादा संघर्ष है उन दिनों में जब हाथ में काम नहीं होगा। जब भाई तुम्हारे पास पैसे नहीं होंगे ना उस वक़्त यह सारी अकड़ पानी हो जाएगी। रोना चाहोगे लेकिन साला सुनने वाला कोई नहीं होगा। चलो इन सब बातों को छोड़ो। फेस कैसे करोगे यह सोचो। तीन महीने तक बुक को कैसे फेस करोगे? एग्जाम के दिन ट्यूशन पेपर को कैसे फेस करोगे और रिजल्ट के दिन अपने मां बाप को कैसे फेस करोगे और रिजल्ट के बाद ज़िंदगी भर लोगों को कैसे फेस करोगे? देखो, बात सही है कि रिजल्ट सब कुछ नहीं है, लेकिन यह कुछ तो है, कुछ तो ज़रूर है। तभी तो आज लाखों लोग पढ़ रहे हैं, हज़ारों लोगों का घर सुधर रहा है। सैकड़ों लोग पढ़ाई के दम पर ही आज हमको बचा रहे हैं, है कि नहीं? अब तक मैंने जो बातें बोली हैं वह एकदम प्रैक्टिकल बोली है। आधा तो तुम अब तक एक्सपीरियंस कर भी चुके होंगे और आधे अब करोगे और यही मैं नहीं चाहता कि तुम्हें बचा हुआ आधा फेस करना पड़े क्योंकि सच में फिर कहीं के नहीं बचोगे. अब तक बेशक बहुत मज़े किए, लेकिन अब सुधरने का वक़्त आ गया है। सब कुछ बदलने का वक़्त आ गया है। मज़े किए कोई दिक़्क़त नहीं है, लेकिन अब भी लगभग तीन महीने बचे हैं। तीन महीने मतलब नब्बे दिन और यह काफ़ी है अभी भी। आगे छह पावरफुल टेक्निक्स के बारे में बात करूंगा। 

Technique number 1, Grab the rule of 50 50. इसका मतलब हुआ कि सिलेबस के 50 परसेंट क्वेश्चन को पकड़ लेना जो या तो लास्ट 5 इयर्स के हैं या जिन्हें most important identify किया गया है उन्हें जल्दी जल्दी ख़त्म करना है और बचे हुए 50 परसेंट पोरशन को कम टाइम और एफर्ट देना है। अक्सर ऐसा होता है स्टूडेंट लास्ट मोमेंट पर सब कुछ पढ़ना चाहते हैं, लेकिन अगर ऐसा करने जाओगे तो बहुत पीछे रह जाओगे। क्योंकि तुम एग्जाम की आख़िरी तारीख़ तक शायद 50 परसेंट तक ही पहुंच पाओ और दुख की बात यह है कि उनमें से मुश्किल से 5 परसेंट से ज़्यादा क्वेश्चन नहीं आऐंगे और तुम्हारा पढ़ा हुआ सब बेकार हो जाएगा। इसलिए उस 50 परसेंट पोरशन से पढ़ो जो बुक का फेस हो। जैसे कि मैथ्स में ना ट्वेल्थ वालों का एक चैप्टर होगा इंटीग्रेशन। अब इस चैप्टर में ना 6 एक्सरसाइजेज होंगे 5.1 से 5.6 तक जबकि मज़े की बात यह है ना कि 5.3 तक questions पूछे ही नहीं जाएंगे और लोग मैक्सिमम 5.3 तक ही पढ़ पाएंगे। तो इसमें कम ध्यान दो सिर्फ़ समझकर चलो और ज़्यादा एफिशिएंसी कोर एक्सरसाइजेज पर दो। यह तीन महीने तुम्हें 90 परसेंट मार्क्स भी दिला सकते हैं। 

Technique number 2, Time Can Clear Your Marks. टाइम बचाना सबसे इम्पोर्टेन्ट चीज़ है। बहुत सारे स्टूडेंट्स टैलेंटेड होने के बावजूद भी एग्जाम में अच्छा स्कोर नहीं कर पाते क्योंकि उनका पूरा एटेम्पट हो ही नहीं पाता। अब तुम ख़ुद सोचो यार हंड्रेड मार्क्स के पेपर में सिर्फ़ 70 का ही एटेम्पट कर पाए तो शायद 60 नंबर आ जाएं लेकिन अगर एटेम्पट पूरा हंड्रेड का हुआ तो 85 to 90 तो कहीं नहीं गए और कम से कम 80 तो मिल ही जाएंगे लेकिन स्टूडेंट्स प्रैक्टिस में सबसे ज़्यादा अपने प्रॉब्लम सॉल्विंग कैपेसिटी पर ध्यान देते हैं और टाइम को सबसे ज़्यादा इग्नोर करते हैं और जब तक ऐसा करेंगे यह बुरी तरह उनके मार्क्स खाएगा इसलिए समझना बहुत ज़रूरी है। लर्न करना revise करना सब सही है लेकिन टाइम के ऊपर प्रैक्टिस करना सबसे ज़्यादा ज़रूरी है Otherwise बिना मतलब के बहुत सारे मार्क्स गंवा दोगे। 

Technique number 3, इन दो महीनों में क्या करें और क्या ना करें? हर चीज़ पता होनी चाहिए जो हमें एग्जाम के आख़िरी दो महीनों में करनी है और नहीं करनी है। सबसे पहले बात करते हैं जो हमें नहीं करनी है। स्मार्टफोन का इस्तेमाल किसी भी दिन आधे घंटे से ज़्यादा नहीं करना चाहिए। कोई ट्रेवल प्लान्स नहीं होना चाहिए और किसी भी दिन की नींद नौ घंटे से ज़्यादा और आठ घंटे से कम नहीं होनी चाहिए। वरना जितना ज़्यादा याद किया है सब भूल जाओगे। बाहर का कुछ भी नहीं खाना है वरना बीमार पढ़ने की पूरी पॉसिबिलिटी है जो तुम्हारे सारे efforts को बुरी तरह ख़ारिज कर देगी और सबसे इम्पोर्टेन्ट, इस बीच किसी भी नए स्किल को या नए phase को एक्सपीरियंस नहीं करना है वरना फोकस हिल जाएगा। तुम्हारी ओवरआल प्रायोरिटी तुम्हारा सिलेबस ही होना चाहिए। यह तो बात हो गई क्या नहीं करना चाहिए। अब बात करते हैं कि क्या करना चाहिए? पिछले पांच सालों के क्वेश्चन पेपर्स को पांच बार ज़रूर सॉल्व करो। आपके 70 परसेंट मार्क्स तो यहीं से कन्फर्म हो जाएंगे। इस बीच एक अच्छे दोस्तों को पकड़ो जिनका फोकस सिर्फ़ पढ़ाई है।लेक्चर बिल्कुल मिस मत करना और हमेशा कांसेप्ट को समझकर चलना। नोट्स और फ्लाश्चार्ड्स से पढ़ना। यह तुम्हारा बहुत सारा टाइम बचाएगा।

Technique number 4, Mnemonics Technique का use करो बड़े ही मस्त तकनीक के बारे में बता रहा हूं, यूज तो कोई भी कर सकता है। लेकिन जिन लोगों के पास अभी बहुत कम टाइम है और उन्हें इतने कम टाइम में बहुत कुछ कवर करना है, उनके लिए यह चीज़ बहुत ज़्यादा मायने रखेगी। सबसे पहले समझते हैं कि मनमोनिक्स क्या होता है? यह एक ऐसी तकनीक है जो बहुत ज़्यादा एफ्फिसिएंट और यूनिक मानी जाती है अगर हम किसी कॉम्प्लिकेटेड और टफ चीज़ को याद करने की कोशिश कर रहे हैं। मतलब कि किसी बड़े से बड़े phase को या तो relatable बनाना जिससे हम कभी भूले ही नहीं या फिर उसको टुकड़ों में तोड़कर कॉम्प्लिकेटेड चीज़ को इजी करना, जिससे होगा ऐसा कि आपको लंबी सी चीज़ छोटी लगेगी, आसान लगेगी। For example, एक phrase लेते हैं Ketty peri come or for great songs. यह एक सेंटेंस है। अभी यह जो सेंटेंस है यह इंग्लिश में है। तुम हिंदी में समझ सकते हो। साइंस स्टूडेंट्स के लिए बायोलॉजिकल क्लासिफिकेशन को कवर करना one of the toughest चीज़ होती है। लेकिन इस phrase से तुम एक सेकंड में उसे याद कर लोगे. Ketty peri come or for great songs. इसमें देखोगे तो सब कुछ कवर हो जाएगा। Kingdom, Phylum, Class, Order, Family, Genius, Species. इस से तुम एक सेकंड में इसे याद कर लोगे। ठीक इसी तरह जैसे यह कोई बड़ा सा नंबर है जो इसको एक साथ याद करना किसी के लिए भी मुश्किल होगा तो ऐसी स्थिति में इसे एक फ़ोन नंबर की तरह टुकड़ों। यही वजह है दोस्तों। टफ चीज़ों को याद करना बहुत आसान हो जाता है। कुछ लोगों के मन में अब यह सवाल आ रहा होगा। तो क्या भाई हम अब हर चीज़ का ऐसा phrase बनाते बैठेंगे? तो देखो दोस्त ऐसा कुछ नहीं करना है। क्योंकि ऐसा तो नहीं होगा कि हर चीज़ तुम्हें डिफिकल्ट लगेगी। एजुकेशनल बोर्ड ने 20 परसेंट तक ही मैक्सिमम सिलेबस में टफ चीज़ें डालती है और उनमें भी जो ऐसा होगा जिसे याद करना बहुत मुश्किल हो रहा होगा केवल इस तकनीक को इस्तेमाल करके उसे easily grab कर लोगे। 

Technique number 5, Try To Cover All Objectives Rather Than Subjective. अगर कभी वेइटज चेक करोगे ना तो पता चलेगा पास होने के लिए सिर्फ़ ऑब्जेक्टिव क्वेश्चन जो सिर्फ़ 1 word होते हैं। अगर सारे बुक से करने बैठोगे ना एक साथ तब भी मुश्किल से दस दिन लगेगा। हर 80 या 100 मार्क्स के क्वेश्चन पेपर में 20 to 30 मार्क्स का सिर्फ़ ऑब्जेक्टिव होता है। तो कितनी अच्छी बात है अगर हम इसे पहले ही कर लेते हैं, लास्ट में भी कर सकते हैं। लेकिन अगर लास्ट में करोगे ना तो पैनिक करने लगोगे, तो हो सकता है कन्फ्यूजन के चक्कर में बहुत सारी ग़लतियां कर बैठो। इसलिए अब भी वक़्त है तसल्ली से सारे ऑब्जेक्टिव कवर कर लो और एक बार यह हो जाए तो फिर सब्जेक्टिव करना चालू करो। ये चीज़ें कहीं ना कहीं एक प्रॉपर स्पीड देंगे तुम्हारे प्रोग्रेस को और मज़ा भी आएगा। जब ऐसा करोगे तब स्कोर 30 to 40 से ऐसे ही अच्छा हो जाएगा। 

Technique number 6, Learn, Revise and Repeat. सब चीज़ों के बाद में लास्ट में बस एक पॉइंट बचता है और वह है learn, revise and do repeat again। लोग क्या करते हैं? सीखते हैं। फिर उसको एक बार revise करते हैं और रख देते हैं। अरे भाई, एक बार में तो कोई फेवरेट फिल्म भी याद नहीं होती। यह तो रियल लाइफ के प्रैक्टिकल क्वेश्चन हैं, चीज़ों को सीखने के बाद इसे लास्ट तक रिपीट करना है। जितना ज़्यादा हो सके इसे रिपीट करो। कंसिस्टेंसी में लॅक करते हो तुम सारे रेगुलरली पढ़ते रहो, लर्न करो, उसको revise करो और फिर रिपीट करो। मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं टॉप मारने से तुम्हें किसी का बाप नहीं रोक पाएगा। 

बाकी अगर आपको अच्छा लगा तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करना फिर मिलते हैं इसी तरह के एक और बवाल motivation story के साथ जय हिंद जय श्री कृष्णा।

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