बीरबल की सजा। एक दिन दरबार में बीरबल सभी को अकबर के नए शाही खटिया के मजेदार किस्से सुना रहे थे और जैसे ही महाराज ने अपनी तशरीफ उस मखमली खटिया पर रखी, उनके वजन से वह खटिया ऐसी टूटी मानो जैसे किसी सूखी डाली पर हाथी बैठ गया हो। ये सुन अकबर समेत सभी हंस पडे। परंतु शातिर मंत्री को यह बात हजम न हुई। अरे यह क्या? बादशाह महान की इतनी तौहीन? मैं यह हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकता। अचानक दरबार में सन्नाटा छा गया और अकबर बोले, यह क्या कह रहे हो मुख्यमंत्री जी? यह तो बस मजाक है। माफ करना जिल्ले इलाही। पर यह पहली बार नहीं है कि बीरबल ने आपका मजाक उड़ाया हो। जो यहां सबको केवल एक चुटकुला लगता है, वह जनता को हकीकत भी लग सकता है। पता है कल क्या हुआ था? जब मैं बाजार से आ रहा था तब मुझे वहां दो व्यक्ति गुफ्तगू करते हुए सुनाई दिए अरे चुन्नी लाल, क्या हाल बना रखा है। सिर्फ वजन बढ़ाने से तुम बादशाह जैसे थोड़े बन जाओगे।
प्रजा के द्वारा अपनी यूँ बेइज्जती सुन तो बादशाह को भी क्रोध आ गया और शातिर मंत्री ने आग में घी डालने का काम जारी रखा। सही सुना आपने बादशाह महान। अब जनता भी आपका मजाक उड़ाने लगी है और यह सब हुआ है इस बीरबल के कारण। बादशाह ने बीरबल की ओर गुस्से से देखा जिससे बीरबल भी हड़बड़ा से गए। इस बीरबल के हल्के फुल्के चुटकुले आपकी इज्जत को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। बादशाह महान! अगर आज आपने यह नहीं रोका तो कल आप बस एक मजाक बनकर रह जाओगे। यह इल्जाम गलत है। अच्छा मेरी बात गलत और तुम्हारी बेइज्जती सही। वाह भाई वाह! भलाई का जमाना ही नहीं रहा। मुख्यमंत्री जी सही कह रहे हैं बीरबल। तुम बार बार हम पर व्यक्तिगत टिप्पणियां करते हो। आज तुम्हारी वजह से राज्य में हमारी बदनामी हुई है। इसलिए सजा के तौर पर हम अभी इसी वक्त तुम्हें राज्य से निकल जाने का आदेश देते हैं। और अगर तुम राज्य के आसपास भी दिखे तो तुम्हें भूखे शेर के पिंजरे में डाल दिया जाएगा। अब निकलो यहां से। सुना नहीं तुमने। दफा हो जाओ यहां से। बीरबल को तो यकीन नहीं हो रहा था कि बादशाह ने उन्हें इतनी कठोर सजा दी है, लेकिन उनके आदेश का सम्मान करते हुए वह बादशाह को आखिरी बार नमन कर वहां से चुपचाप निकल गए।
दरबार में उदासी का माहौल छा गया। परंतु शातिर मंत्री के मन में खुशी के लड्डू फूटने लगे। बीरबल तो गयो। इस घटना के कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक रहा परंतु आखिरकार बादशाह को अपने चहेते सलाहकार की याद आने लगी। दरबारियों, मुझे लगता है हमने गुस्से में बीरबल के साथ नाइंसाफी की है। क्यों? क्या कहते हो? क्या हमें बीरबल को दोबारा बुला लेना चाहिए? इससे पहले कोई कुछ कहता। शातिर मंत्री तुरंत उठे और बोले, यह क्या कह रहे हो आप? जिल्ले इलाही। बादशाह अकबर के मुंह से निकला शब्द उस तीर की तरह है जो वापस नहीं लिया जा सकता। लोग क्या कहेंगे। बादशाह अपने फैसले से मुकर गए। इससे आपकी और बदनामी होगी। पर बीरबल के बिना हमें कुछ फैसले लेने में बेहद कठिनाई हो रही है। बस इतनी सी बात। हम आज ही नए सलाहकार की नौकरी के लिए ढिंढोरा पीट देते हैं। आप देखते जाइए कैसे बीरबल से भी कई गुना होशियार लोग हमें मिलेंगे। बादशाह को यह बात पसंद तो नहीं आई, परंतु न चाहते हुए भी उन्होंने इस बात की अनुमति दे दी। ठीक है, बुलाओ लोगों को।
फिर क्या? आदेश अनुसार एक के बाद एक कई नमूने अपने हुनर का नमूना देने आए। बंद करो यह नौटंकी। हमें सलाहकार चाहिए, कोई विदूषक नहीं। हमें यकीन हो गया है कि इस राज्य में बीरबल की जगह कोई नहीं ले सकता। पर तभी एक ज्ञानी बाबा अपने चेलों के साथ वहां पधारे। उनके दिव्य उपस्थिति से ही दरबार में शांति का माहौल छा गया। आपकी तारीफ? यह है चमत्कारी बाबा इस पृथ्वी के सबसे बुद्धिमान और चतुर महापुरुष। और हम इनके समर्थक और भक्त। कहने के लिए तो मुख्यमंत्री भी अपने आप को गबरू जवान कहते हैं। पर हर कहीं बात सच तो नहीं हो सकती ना। हमने ऐसा कभी नहीं कहा कि हम इस पृथ्वी के सबसे बड़े ज्ञानी है। यह तो लोग कहते है हमें कोई दिखावे का शौक नहीं पर अगर आप हमारे चमत्कार को परखना ही चाहते है तो पूछिए पूछिए जो पूछना है। फिर क्या? एक एक कर मंत्रियों ने अपने सवाल जवाब का दौर शुरू किया। तो बताइए इंसान का सबसे करीबी दोस्त कौन होता है? उसकी अच्छी समझ ही उसका सबसे अच्छा दोस्त होता है, क्योंकि वही उसे सही या गलत का अंतर बता सकता है। यह सुन दरबारी काफी प्रभावित हुए और मुख्य मंत्री ने पूछा बहुत खूब।
बीरबल की जगह लेने वाले बाबा, अब बताओ इस पृथ्वी पर सबसे श्रेष्ठ चीज कौन सी है? लल्लू, इस पूरे संसार में सबसे श्रेष्ठ वही है जो तुम्हारे पास बिल्कुल नहीं है। ज्ञान। यह सुन सभी हंस पडे और शातिर मंत्री तिलमिलाते हुए अपनी कुर्सी पर बैठ गए। तभी तानसेन उठे और अपना गला साफ करते हुए बोले। अच्छा ये बताओ संसार का सबसे मधुर सुर कौन सा है? वो सुर जो ईश्वर से प्रार्थना करती हो। यह जवाब सुन मानो बादशाह अकबर की आँखें भर आई परंतु उन्होंने अपनी भावनाओं को काबू किया और बोले बहुत खूब। बस एक आखिरी सवाल हमें यह बताओ किसी राज्य को चलाने के लिए सबसे जरूरी चीज क्या है? राज्य को चलाने के लिए राजा का मानसिक और शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहना बेहद जरूरी है। स्वास्थ्य अच्छा हो तो एक राजा प्रजा के बारे में सोच सकता है। यह जवाब सुन तो मानो दरबार में खुशी की लहर छा गई। वाह वाह देखा बादशाह महान। आखिर हमें बीरबल से ज्यादा बुद्धिमान व्यक्ति मिल ही गया। इतना ही नहीं बीरबल तो केवल हाजिर जवाब था। सुना है यह बाबा तो चमत्कार भी कर सकते हैं। क्यों है ना?
बिल्कुल कड़ी तपस्या के बाद मैंने ऐसी विद्या हासिल की है जिससे मैं किसी भी मनुष्य का रूप धारण कर सकता हूं। महाराज, आप बस बंद आंखों से उस व्यक्ति के बारे में सोचिए जिसे इस वक्त आप सबसे ज्यादा मिलना चाहते हो। यह सुन बादशाह की आंखें फिर बीरबल की याद में नम हो गई। उन्होंने अपनी आंखों को बंद किया और मन में अपने चहीते सलाहकार के बारे में सोचने लगे। फिर क्या? बाबा ने अपनी लंबी दाढ़ी और बाल खींच कर निकाले और सारे दरबारी यह देख कर अचंभित हुए कि उस पोशाक के पीछे और कोई नहीं बल्कि खुद बीरबल थे। यह देख तो शातिर मंत्री अपनी कुर्सी से ही फिसल गए। अकबर ने जब अपनी आँखें खोली तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। बीरबल तुम? जी महाराज! मैं आपसे कुछ दिनों पहले हुए घटना के लिए माफी माँगता हूँ। परन्तु मैं आपको यह बता दूँ मेरा इरादा कभी आपके वजन का मजाक उड़ाना नहीं होता। बस केवल यह याद दिलाना होता है कि आपको आपके स्वास्थ्य का खयाल रखना चाहिए ताकि आप निश्चिंत हो राज्य का ख्याल रख सकें। सही कहा बीरबल, हम भी अपने दुर्व्यवहार के लिए तुमसे माफी माँगते हैं और आज से यह ऐलान करते हैं कि हम और राज्य के हर मंत्री अब से हर दिन व्यायाम करेंगे। यह सुन तो शातिर मंत्री ने अपना माथा पीटा और हमने यह सीखा कि गुस्से में कभी भी कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए।