अकबर का सपना | The Dream Of Akbar | Akbar Ka Sapna | Akbar Birbal Ki Kahani

Dream Of Akbar

अकबर का सपना। एक दिन अकबर कुछ ज्यादा ही परेशान लग रहे थे और इस परेशानी को देख बीरबल ने उनसे पूछा। महाराज सब खैरियत तो है? अब क्या बताऊं बीरबल? कल रात एक घटी घटना ने हमारा चैन वेन सब उजाड़ दिया है। कृपया हमें बताइये क्या पता शायद कोई उपाय निकल आये। जी बादशाह महान आप बस हुकुम कीजिये। आपके लिए दुनिया हिला देंगे हम। दरअसल बात यह है कि। बादशाह ने उन्हें बताया कि कल रात उन्हें एक सपना आया जिसमे उन्होंने एक खूबसूरत सा महल देखा जो मानो जन्नत जैसे बादलों में बसा हुआ था। उसमें कई नायाब रत्नों और हीरों से सजी दीवारें थी और सामने थे आलीशान और सुन्दर बगीचे। महल का मुख्य द्वार सोने से बना हुआ था जो धीरे से खुला और उसमें से निकली उनके पूज्य पिताजी की आत्मा और उन्होंने अकबर से कहा, बेटा अकबर। 

हम हमेशा से एक ऐसा ही महल बनाना चाहते थे। पर हमारी यह इच्छा अधूरी रह गई। इसलिए हम चाहते हैं कि तुम मुगल सल्तनत की शान को आगे बढ़ाओ और हमारी इस आखिरी इच्छा को पूरी करो। तो बस अब्बा की यह बात हमें अंदर से खाई जा रही है। अगर हम उनकी इच्छा पूरी नहीं कर पाए तो हम जन्नत जाकर उन्हें क्या जवाब देंगे? यह सुन बीरबल बोले। महाराज, सपने तो सपने होते हैं। जिसे सुन शातिर मंत्री बोले पर अपने तो अपने होते हैं ना। और अपनों के सपनों को पूरा करना हमारी जिम्मेदारी है। परंतु मंत्री जी यूं हवा में उड़ता महल बनाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। हां हां तुम्हारे लिए होगा मुश्किल मेरे लिए नहीं है। बड़े बादशाह की इच्छा पूरी होकर ही रहेगी। क्या तुम सच कह रहे हो शातिर उद्दीन? शत प्रतिशत सच। मैं एक ऐसे करिश्माई महल मिस्त्री को जानता हूं, जिसके लिए कोई भी कार्य मुश्किल नहीं। आपकी इजाजत हो तो मैं आज ही उसे पेश करता हूं महाराज। यह तो बहुत खुशी की बात है। उसे ले आओ। यह सुन बीरबल ने अपना माथा पीटा और बोले, चलो। अब इस मुसीबत का हल हम साथ मिलकर ढूंढते हैं।

फिर क्या? कुछ देर बाद शातिर उद्दीन उस महल मिस्त्री को ले आए। यह रहे दुनिया के अव्वल दर्जे के वास्तुकार। पिंटू मिस्त्री नमस्कार महाराज! यह सज्जन ने बताया कि आपको हवाई महल बनाना है बन तो जायेगा पर? पर उसमें खर्चा बहुत आवे से महाराज!। खर्चे की फिक्र तुम मत करो। हमारे बादशाह अपने अब्बू की इच्छा पूरी करने के लिए अपनी सारी दौलत लुटा सकते हैं। ये हवाई महल तो मामूली बात है। हां चाहे जो हो जाए, यह महल बनके रहना चाहिए। ठीक से फिर तो काम चालू समझो महाराज! फिर क्या, कुछ दिन यूं ही बीत गए। परंतु पिंटू मिस्त्री ने हवाई महल का काम शुरू तक नहीं किया। जब भी महाराज उससे इस विषय में पूछते। वह बस बहाने बनाते रहता और अकबर से कुछ और समय और पैसे मांग लेता। पता नहीं उस शख्स में ऐसा क्या खास था कि अकबर भी उसकी बात को मान लेते और उसे और धन प्रदान कर देते, जिसमें से वह दो टका हिस्सा फिर शातिर मंत्री को सौंप देता। परंतु अब तो शातिर मंत्री का सब्र भी जवाब देने लगा था। 

ओए पिंटू, यूं कब तक तुम काम को टालते रहोगे? आम खाओ ना मालिक, गुठली क्यों गिन रहे हो? अरे अगर बादशाह का सब्र टूट पड़ा तो तुम आम क्या कुछ काम के नहीं रहोगे। जितना पैसा बनाना था, हम बना चुके। अब चुपचाप महल का काम शुरू कर दो। पिंटू बिना जवाब दिए बस हँस कर वहाँ से चला गया। अब तो शातिर मंत्री को भी समझ नहीं आ रहा था कि पिंटू के दिमाग में क्या चल रहा है। अरे यह पिंटू तो खुद भी डूबेगा और मुझे भी ले डूबेगा। मैं तो गया। अगले दिन बादशाह ने शातिर मंत्री से हवाई महल के बारे में पूछा। कितना वक्त लगेगा इस कार्य में? वो दरअसल वो। और उसी वक्त वहाँ एक बुजुर्ग व्यक्ति इंसाफ की गुहार लगाते हुए आया। बादशाह मुझे इंसाफ दो, इंसाफ दो मुझे बादशाह। 

क्या बात है चाचा जी इतने परेशान क्यों हो? पहले आप मुझे वादा कीजिए कि आप मुझे किसी भी हाल में इंसाफ देकर रहेंगे। अकबर के दरबार से कोई भी मायूस होकर नहीं जाता। हम वादा करते हैं आपके साथ इंसाफ होगा। शुक्रिया बादशाह। दरअसल बात यह है कि पिछले हफ्ते तक मैं एक बहुत अमीर व्यापारी था। मेरा एक हंसता खेलता परिवार भी था। परंतु कुछ दिनों पहले दो खूंखार अपराधियों ने मेरा सारा खजाना लूट लिया। और तो और मेरे पूरे परिवार को भी खत्म कर दिया महाराज। यह सुन तो बादशाह समेत सारे लोग चौंक गए। उस बुजुर्ग की हालत देख बादशाह को उन पर तरस आने लगा। हम आपके साथ पूरी सहानुभूति रखते हैं और आश्वासन देते हैं कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी। क्या हम जान सकते हैं कि तुम्हारी किसी से कोई दुश्मनी तो नहीं? तुम उन अपराधियों के बारे में कुछ भी जानते हो तो हमें बताओ। जी बादशाह मैं उनके नाम अच्छे से जानता हूँ। मैं तो क्या आप भी उन्हें अच्छे से जानते हैं। यह सुन तो सारे लोग एकदम चौंक गए और बादशाह बोले क्या। 

हम उन्हें जानते हैं अभी के अभी उनका नाम बताओ। आज तो उनकी खैर नहीं। तो सुनिए उनका नाम है शातिर उद्दीन क्या और बादशाह अकबर क्या? तुम होश में तो हो चाचा जी। मैंने खुद अपनी आँखों से आप दोनों को वह घिनौना जुर्म करते हुए देखा है। यह कब हुआ भला? उस रात मेरे सपने में सपने में। सपने में हाँ सपने में मैंने देखा कि आप दोनों ने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी। मेरा हंसता खेलता परिवार उजाड़ दिया। मेरी जिंदगी भर की कमाई लूट ली आपने। यह सुन तो बादशाह का क्रोध उफान चढ़ गया और वो बोले। बस बहुत हुआ मुझे तो लगता है आप अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं जो सपनों में देखी हुई चीज को सच मान बैठे हैं। अरे ऐसा भी कभी होता है भला? होता होगा तभी तो मेरे राज्य के बादशाह खुद सपने में दिखे हुए महल को बनाने में बेमिसाल दौलत लुटा रहे हैं। अब आप ही बताएं आपका सपना, असली सपना और मेरा सपना नकली सपना। यह कैसा इंसाफ हुआ भला। यह सुन बादशाह तो पहले चौंक गए, फिर उन्होंने इस बात पर गहराई से विचार किया और उन्हें अपनी नादानी समझ में आने लगी। बात तो आपने सही कही है। लगता है हमसे बहुत बड़ी भूल हो गई है। हम आज ही उस काम को बंद करवाने का आदेश देते हैं। हमें सपनों की दुनिया से बाहर निकालकर हकीकत से रूबरू करवाने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया। और हम जानते हैं कि यह कार्य केवल एक ही शख्स कर सकता है। क्यों सही कहा ना? बीरबल। यह सुन बीरबल ने अपनी नकली दाढ़ी मूंछ निकाली और वो सब हंस पड़े और उसी वक़्त वहां आ पधारे पिंटू मिस्त्री। अरे वाह वाह वाह। हम सही वक्त आवे है महाराज। महल बनाने के लिए कुछ किलो सोना कम पड़ रहा है। थोड़े पैसे मिल जाते तो। हाँ क्यों नहीं। सिपाहियों इसे काल कोठरी में ले जाकर इसकी अच्छी खातिरदारी करो। अरे पर पर मेरा कसूर क्या है? और इस तरह बीरबल ने फिर अपनी बुद्धि से सच सामने ला दिया और हमने यह सीखा कि भावनाओं में बहकर निर्णय लेना महंगा पड़ सकता है।

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